Akash Vijayvargiya acquitted: इंदौर का चर्चित बैट कांड याद है? कुछ साल पहले मध्यप्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और पूर्व बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय का एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में आकाश विजयवर्गीय एक निगम अधिकारी पर दनादन बल्ला बरसाते नजर आ रहे थे। अब इस मामले में आकाश विजयवर्गीय को कोर्ट से राहत मिल गई है। कोर्ट ने आकाश विजयवर्गीय को बाइज्जत बरी कर दिया है। वजह दिलचस्प है, वीडियो में नजर आ रहे निगम अधिकारी धीरेंद्र बैस अपने ही बयान से मुकर गए हैं। बता दें कि शिकायत खुद धीरेंद्र बैस ने ही दर्ज कराई थी।
जानें, कोर्ट में क्या बोले निगम अधिकारी
इस मामले में जब कोर्ट में गवाही हुई तो धीरेंद्र बैस अपने ही बयान से पलट गए। इसके बाद कोर्ट ने आकाश विजयवर्गीय समेत इस मामले के नौ आरोपियों को बरी कर दिया। जब कोर्ट ने धीरेंद्र बैस से पूछा कि उस दिन क्या हुआ था? धीरेंद्र बैस ने कोर्ट से कहा कि वह घटना के वक्त मोबाइल पर बात कर रहे थे। इसलिए वह देख नहीं पाए कि मुझे किसने मारा। धीरेंद्र बैस ने कहा कि उन्हें बल्ले से चोट आई लेकिन मैं देख नहीं पाया कि मुझे चोट पहुंचाई किसने।
वीडियो की प्रमाणिकता की नहीं हुई पुष्टि
बचाव पक्ष के वकील उदय प्रताप सिंह कुशवाह ने बताया कि अभियोजन मामले में आरोपों को साबित नहीं कर पाए। कोई सबूत पेश नहीं किया जा चुका। जो वीडियो सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किए गए थे उनकी भी प्रमाणिकता साबित नहीं हो पाई। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कैलाश विजयवर्गीय और दूसरे 8 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले के एक आरोपी मोनू कल्याणे की हत्या हो चुकी है।
पांच साल पुराना है मामला
यह मामला पांच साल पुराना यानी कि 26 जून 2019 का है। उस यमय धीरेंद्र बैस इंदौर नगर निगम के भवन निरीक्षक हुआ करते थे। राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। आकाश विजयवर्गीय सीटिंग एमएलए थे। आकाश विजयवर्गीय ने कथित तौर पर धीरेंद्र बैस से बैट से हमला किया था। धीरेंद्र बैस ने इस मामले में आकाश विजयवर्गीय समेत 10 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
इन धाराओं में दर्ज हुआ था मामला
इंदौर के एमजी रोड थाने में आकाश विजयवर्गीय और दूसरे 9 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को कार्य से रोकने के लिए हमला), 294 (गाली-गलौज), 323 (चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), 147 (दंगा) और 148 (जानलेवा हथियार से दंगा) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थी।
जानें, आखिर घटना की वजह क्या थी
आकाश विजयवर्गीय इंदौर-3 के विधायक थे। नगर निगम ने उस समय शहर में जर्जर हो चुके मकानों को ढहाने का कैंपन शुरू किया था। निगम के अधिकारी ऐसी ही एक पुरानी बिल्डिंग को गिराने पहुंचे। आकाश विजयवर्गीय से किसी ने शिकायत कर दी कि निगम अधिकारी जबरदस्ती मकान ढहा रहे हैं। आकाश विजयवर्गीय वहां पहुंचे तो निगम अधिकारियों से उनकी बहस हो गई। इसके बाद कथित तौर पर आकाश विजयर्गीय ने क्रिकेट बैट उठाकर निगम अधिकारियों को पीटना शुरू कर दिया था।आकाश विजयवर्गीय और 9 अन्य को इंदौर के 'बैट कांड' में बरी कर दिया गया। अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि वह मोबाइल पर बात कर रहे थे और नहीं देख पाए कि उन्हें किसने मारा था।