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Navratri 2024: इंदौर के बिजासन माता मंदिर का निर्माण 1760 में तत्कालीन महाराजा शिवाजीराव होल्कर ने मराठा शैली में बनवाया था। मध्य प्रदेश का यह एकलौता मंदिर है, जहां देवी नौ स्वरूप में विराजी है। 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर काफी दिव्य है।

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का आज यानी सोमवार को पांचवां दिन है। आज हम आपको इंदौर के बिजासन माता मंदिर की महिमा, महत्व और मान्यता के बारे में बता रहे हैं। चलिए जानते हैं  इंदौर की 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित बिजासन माता का मंदिर कितना खास है...। नवरात्रि पर भक्त यहां नौकरी, संतान, प्राप्ति और बीमारी से मुक्ति पाने की मुरादें लेकर आते हैं। मंदिर के आसपास मेला भी लगाता है।   

शिवाजीराव होल्कर बनवाया था मंदिर 
बिजासन माता का यह मंदिर 1760 में इंदौर के महाराजा शिवाजीराव होल्कर ने मराठा शैली में बनवाया था। मान्यता है कि यहां अनुष्ठान और पूजा करने बिजासन देवी ने इस क्षेत्र को सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद दिया है। मंदिर में बिजासन माता के नौ स्वरूप हैं। भ्क्त इन्हें सौभाग्य और संतान की माता के रूप में मानते हैं।

प्राकृति की सुंदरता 
बिजासन देवी मंदिर प्राकृति सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। श्रद्धालुओं को यहां एक अलग शांति और ऊर्जा की अनुभूति होती है। पहाड़ी की चोटी से सूर्यास्त का मनमोहक दृश्य देख सकते हैं। पहाड़ी के ऊपर होलकर गेस्ट हाउस था, जिसे अब सीमा सुरक्षा बल के शस्त्र संग्रहालय में बदल दिया गया है। मंदिर परिसर में एक ऐतिहासिक स्पर्श जोड़ता है।

आल्हा उदल ने मांगा था वरदान 
बिजासन माता को सौभाग्य और पुत्रदायिनी माना जाता है। यही कारण है कि विवाह के बाद बड़ी संख्या में नवयुगल यहां मातारानी का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। मान्यता है कि आल्हा उदल ने मांडू के राजा को हराने के लिए बिजासन देवी से मन्नात मांगी थी। 

नवरात्रि में पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु  
बिजासन माता मंदिर में वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा भी होती है। नवरात्रि पर यहां नौ दिवसीय मेला लगता है। जिसमें 3 लाख से अधिक श्रद्धालु देवी दर्शन के लिए आते हैं। इस दौरान मंदिर परिसर में कई तरह के अनुष्ठान भी होते हैं। शुरुआत में यहां एक मिट्टी और पत्थरों का चबूतरा था, लेकिन अब भव्य मंदिर के साथ अन्य सुविधाएं भी मौजूद हैं।

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कब और कैसे पहुंचें बिजासन धाम 

  • मंदिर करीबन सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है, जिससे भक्तों और पर्यटकों को इसके आध्यात्मिक और वास्तुशिल्प चमत्कारों को देखने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। इंदौर से इसकी निकटता इसे आसानी से सुलभ बनाती है, जो स्थानीय लोगों और आगंतुकों के लिए एक दिन की यात्रा का एक आदर्श विकल्प प्रदान करती है।
  • इंदौर रेलवे स्टेशन से दूरी : शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित मंदिर रेलवे स्टेशन से 9.8 किलोमीटर की दूरी पर है। और यहां तक पहुंचने में करीब 27 मिनट का समय लगता है। और भी साधन की व्यवस्था रहती हैं।
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