इंदौर। इंदौर के बेलेश्वर मंदिर में हुए बावड़ी हादसे में 36 लोगों की मौत के मामले में शनिवार को मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट और आपराधिक प्रकरण की 265 पन्नों की स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की गई। रिपोर्ट में बलेश्वर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव, नगर निगम के तत्कालीन और वर्तमान ज़ोनल अधिकारी और जल संसाधन विभाग के तत्कालीन और वर्तमान अधिकारियों को हादसे के लिए दोषी ठहराया है। बता दें कि न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की डबल बेंच ने पिछली सुनवाई में मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होने की संभावना है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने ये मांगें रखी थीं
पूर्व पार्षद महेश गर्ग और कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने वकील मनीष यादव और वकील अदिति मनीष यादव के माध्यम से दो जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की है। दोनों याचिकाओं में हादसे में मृत हुए लोगों के परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजा देने, दोषियों पर कड़ी आपराधिक कार्रवाई करने, दोषी नेताओं के खिलाफ जांच, शहर की विभिन्न बावड़ियों और कुओं से तत्काल कब्जे हटाने और मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में गठित कमेटी से कराए जाने की मांग की गई है।
जानें, कब, कैसे हुआ था हादसा
बता दें कि 30 मार्च 2023 को रामनवमी के दिन इंदौर के स्नेह नगर स्थित बेलेश्वर मंदिर में यह दर्दनाक हादसा हुआ था। भक्तिभाव में डूबे 60 लोग पूर्णाहुति के वक्त कुछ ही क्षणों में बावड़ी में समा गए थे। 36 लोगों के शव बाहर निकले थे। 60 फीट बावड़ी में 10 फीट पानी था। बावड़ी के ऊपर बने स्लैब के ऊपर लोग खड़े थे। स्लैब ढह गया और लोग धड़ाधड़ नीचे गिरने लगे। लोग गाद और पानी में फंस गए। पुलिस और प्रशासन के पास लोगों को बचाने के संसाधन नहीं थे। फिर लोगों को बचाने आर्मी को बुलाया गया। 25 घंटे बाद आखिरी शव निकला था। 3 अप्रैल को प्रशासन ने मंदिर के अवैध निर्माण वाले हिस्से को ध्यवस्त किया। प्रतिमाएं दूसरी जगह शिफ्ट की और बावड़ी को भी बंद कर दिया। अब वहां न मंदिर है न बावड़ी।
बिल्डिंग इंस्पेक्टर और ऑफिसर को किया था निलंबित
हादसे के बाद सरकार ने नगर निगम के बिल्डिंग इंस्पेक्टर और बिल्डिंग ऑफिसर को निलंबित कर दिया था। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सेवाराम गलानी और मुरली सबनानी पर जूनी इंदौर थाने में धारा 304-ए और 34 IPC का केस कराया था। मृतकों और घायलों के परिवारों को मुआवजा मंजूर किया गया। कलेक्टर ने मजिस्ट्रियल जांच कराने के आदेश दिए थे।