Indore Lok Sabha Chunav Result: मध्यप्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट पर दो रिकॉर्ड टूट गए हैं। भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान सांसद शंकर लालवानी ने पिछली जीत का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इंदौर में नोटा को भी रिकॉर्डतोड़ वोट मिले हैं। इंदौर में भाजपा जीत गई। शंकर लालवानी ने 12 लाख 26 हजार 751 वोट हासिल कर सबसे बड़ी जीत हासिल की है। लालवानी ने बसपा के संजय सोलंकी को 11 लाख 75 हजार 092 हजार वोट से करारी शिकस्त दी है। अब तक यह रिकॉर्ड बिहार की गोपालगंज सीट के नाम पर था। 2019 में देश में सबसे ज्यादा 51,600 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर बिहार की ही पश्चिमी चंपारण की सीट रही जहां 45 हजार 637 वोट नोटा को मिले। तीसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ के बस्तर सीट रही जहां 41 हजार 667 वोट नोटा में गिरे थे।
पिछली बार 5 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे
भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने 2019 में 547754 वोटों से चुनाव जीता था। इस बार लालवानी अभी तक 1040396 वोट हासिल कर चुके हैं। एक बजे तक 9 लाख 96 हजार 430 वोटों से आगे चल रहे हैं। इधर NOTA को 1.70 लाख से ज्यादा वोट मिल चुके हैं। तीसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी संजय सोलंकी हैं। उन्हें 40 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं। खास बात यह कि इस बार कांग्रेस प्रत्याशी नहीं है। कांग्रेस ने चुनाव में नोटा को वोट देने की अपील की थी।
जाने इंदौर के किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले
शंकर लालवानी ने बनाया जीत का रिकॉर्ड
इंदौर में इस बार नोटा के बाद जीत का भी रिकॉर्ड बन गया है। भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले हैं। वे अब तक की गिनती में 1138618 लाख वोटों की लीड ले चुके हैं। उन्हें करीब 80% वोट मिले हैं। बता दें कि इससे पहले देश की सबसे बड़ी जीत गुजरात के नाम दर्ज थी। यहां 2019 में भाजपा के सीआर पाटिल नवसार सीट से 6.90 लाख वोटों से जीते थे।
इंदौर लोकसभा चुनाव में टूटे तीन रिकॉर्ड
- इंदौर लोकसभा चुनाव में 12 लाख 26 हजार 751 वोट भाजपा को मिले, जो अब तक का सबसे अधिक है। पिछली बार 10.68 लाख वोट मिले थे। यानी बीजेपी ने अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
- दूसरा, सांसद शंकर लालवानी ने देश में सबसे बड़ी जीत हासिल कर ली है। जीत का अंतर 10 लाख के करीब पहुंच गया है। इससे पहले, 2019 में सबसे बड़ी गुजरात की नवसार सीट के नाम पर थी। वहां भाजपा के सीआर पाटिल नवसार सीट से 6.90 लाख वोटों से जीते थे। लालवानी ने आज यह रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है।
तीसरा नोटा का है। जिसे पहली बार देश में 2 लाख 18 हजार से अधिक वोट मिले हैं। यह और बढ़ सकते हैं। अब तक देश में रिकॉर्ड बिहार की गोपालगंज सीट के नाम पर था। उसे 2019 में देश में सबसे ज्यादा 51,600 वोट मिले थे।
शंकर लालवानी का परिचय
शंकर लालवानी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। इंदौर लोकसभा सीट से साल 2019 में संसद सदस्य बने थे। उन्होंने पहले इंदौर विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं। सिंधी समाज में लोकप्रियता है। इसी कारण उन्हें इस सीट से टिकट मिली थी। सांसद शंकर लालवानी ने अब तक 15 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि से इंदौर में पेयजल, स्वच्छता और कई विकास कार्यों पर खर्च कर चुके हैं। शंकर लालवानी को उनके मिलनसार व्यक्तित्व के लिए पहचाना जाता है। वे विवादों से दूर रहना पसंद करते हैं और भाजपा के अधिकांश वरिष्ठ नेता उन्हें पसंद करते हैं। वे भाजपा की गुटबाजी से भी दूरी बनाकर रखते हैं।
बी-टेक पास हैं शंकर लालवानी
शंकर लालवानी का जन्म 16 अक्टूबर 1961 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता जमनादास लालवानी भारत विभाजन से पहले इंदौर आ गए थे। जमनादास लालवानी इंदौर आकर भी आरएसएस में सक्रिय थे। वे जनसंघ पार्टी में थे और सामाजिक कामों में उनकी सक्रियता थी। वे कई वर्षों तक मध्य प्रदेश में सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। शंकर लालवानी की माताजी गोरी देवी लालवानी एक गृहिणी थीं। शंकर लालवानी ने मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास की, इसके बाद मुंबई से बी-टेक की पढ़ाई की। इसके बाद इंदौर आकर व्यापार और कंसल्टेंसी के काम में लग गए।
पार्षद से की थी राजनीति की शुरुआत
बता दें, साल 1994 से 1999 तक वे इंदौर नगर निगम में पार्षद रहे। इसके बाद 1999 से 2004 तक वे 5 वर्ष तक इंदौर नगर निगम के सभापति पद पर रहे। 2013 में इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए। 2019 में जब भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया तो भारतीय जनता पार्टी करीब 5 लाख 47 हजार वोटों के ऐतिहासिक अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी से जीत हासिल की। सांसद बनने के बाद, वह लोकसभा में आवास और शहरी मामलों की स्थायी समिति, सदन की बैठक से सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी समिति, संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की सलाहकार समिति, सहकारिता विभाग सलाहकार समिति, उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण परामर्श समिति एवं एमएसएमई नेशनल बोर्ड के भी सदस्य हैं।