Indore Namkeen industry: इंदौर के नमकीन उद्योग पर संकट, बंद हो सकती हैं 250 से अधिक फैक्ट्रियां

Indore Namkeen factories in trouble due to Pollution Control Board order
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Indore Namkeen:इंदौर के नमकीन उद्योग पर संकट, बंद हो सकती हैं 250 से अधिक फैक्ट्रियां।
मध्य प्रदेश के इंदौर में 250 से अधिक नमकीन फैक्ट्रियां हैं। जहां रोज 20 हजार टन से नमकीन तैयार होती है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक आदेश से संकट मंडराने लगा है।

Indore Namkeen industry: इंदौर की अर्थव्यवस्था में यहां के नमकीन उद्योग का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फरमान से इस उद्योग के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोयला और बायो कोल जैसे ईधन के उपयोग पर रोक लगाई है, जिससे न सिर्फ नमकीन निर्माण की कास्ट बढ़ेगी, बल्कि इंडस्ट्रियां अन्य शहरों में शिफ्ट हो सकती हैं।

इंदौर में नमकीन निर्माण का बड़ा कारोबार है। यहां प्रतिदिन 20 हजार टन नमकीन का उत्पादन होता है। नमकीन निर्माता एसोसिएशन के मुताबिक, इंदौर में 250 से अधिक यूनिट्स हैं। हर उद्योग में औसतन 100 टन नमकीन तैयार की जाती है।

...तो बंद हो जाएंगे उद्योग
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नमकीन बनाने वाली सभी फैक्ट्रियों को ईधन के तौर पर सीएनजी और पीएनजी उपयोग करने के आदेश दिए हैं। फैक्ट्रियां अभी कोयला और बायो कोल का उपयोग करती हैं, जो अपेक्षाकृत काफी सस्ता पड़ता है। फैक्ट्री संचालकों का कहना है कि ईधन रिप्लेस किया तो उद्योग बंद करने पड़ेंगे।

क्या है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आदेश?
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने नमकीन फैक्ट्रियों को यह आदेश दिसंबर के दूसरे और तीसरे सप्ताह जारी किया है। इसमें आदेशित किया गया है कि 6 माह के अंदर ईंधन रिप्लेस करें। आदेश में यह भी कहा गया कि सभी फैक्ट्री संचालक 15 दिन में बायलर में बदलाव का एक्शन प्लान तैयार कर बोर्ड को भेजें।

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क्या कहते हैं नमकीन इंडस्ट्री से जुड़े लोग?

  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस आदेश का इंडस्ट्री से जुड़े लोग विरोध कर रहे हैं। बताया कि बायो कोल पराली और एग्री वेस्ट से बना ईंधन है। जो पीएनजी की अपेक्षा तीन गुना सस्ता है। इससे किसानों को भी फायदा होता है।
  • उद्यमियों ने बताया कि राज्य सरकार PNG पर 14 प्रतिशत वैट लेती है, जिसका टैक्स क्रेडिट भी नहीं मिलता। गैस उपलब्धता कम होने से और जरूरी तापमान हासिल करने में ईंधन खर्च बढ़ जाता है। इससे नमकीन उत्पादन की लागत बढ़ जाती है।
  • उत्पादन लागत बढ़ने से अन्य प्रदेशों के नमकीन उद्योगों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे। क्योंकि उनके पास ईंधन को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। लिहाजा, वह कम रेट पर नमकीन बेचेंगे।
  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहले ही बायलर पर बैक फिल्टर और कार्बन कलेक्टर लगवा दिया है। फिर ईधन रिप्लेस करने की अनिवार्यता उचित नहीं है।

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विरोध के बाद बैकफुट पर बोर्ड
उद्यमियों और व्यापारियों के विरोध के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बैकफुट पर है। क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी ने बताया कि उद्योगों को हमने सुझाव दिया है। ईधन बदलने की अनिवार्यता नहीं, समय के साथ इसका विकल्प तलाशना चाहिए।

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