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Indore Patient treated with plasma from horse blood: डॉ. सुमित शुक्ला ने बताया, जब किसी मरीज का बोन मैरो फेल हो जाता है मतलब हीमोग्लोबिन बनना बंद हो जाता है तो इस बीमारी को अप्लास्टिक एनीमिया कहते हैं।

Indore Patient treated with plasma from horse blood: इंदौर सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में खतरनाक बीमारियों में से एक अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित युवक का एटीजी थेरेपी से इलाज किया गया। यहां पहली बार इस थेरेपी से इलाज शुरू हुआ है। इसमें घोड़े के खून से एंटी बॉडी लेकर बीमार व्यक्ति का इलाज किया जाता है। अस्पताल में मरीज का तीन माह इलाज चला। अब स्वस्थ होने पर शुक्रवार को उसे छुट्टी दी जाएगी।

क्या है अप्लास्टिक एनीमिया?
सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डॉ. सुमित शुक्ला ने बताया, जब किसी मरीज का बोन मैरो फेल हो जाता है मतलब हीमोग्लोबिन बनना बंद हो जाता है तो इस बीमारी को अप्लास्टिक एनीमिया कहते हैं। इसके इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है। कई बार जांच के दौरान ट्रांसप्लांट वाले बोन मैरो के जींस पीड़ित से मैच नहीं करते। ऐसी स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांट असंभव हो जाता है, तब मरीज का इलाज घोड़े के खून से एंटी बॉडी लेकर एटीजी यानी एंटी-थाइमोसाइट ग्लोब्यूलिन थेरेपी से किया जाता है। युवक का इलाज इसी थेरेपी से किया गया।

अन्य मरीजों का भी हो सकेगा इलाज
सुपर सुपर स्पेशिएलिटी के डॉ. अक्षय लाहोटी ने बताया कि अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज एटीजी थेरेपी से ही संभव है। सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में इस थेरेपी से पहली बार इलाज किया गया है। डॉ. सुधीर कटारिया, डॉ. राहुल भार्गव, डॉ. सुमित शुक्ला की इसमें अहम भूमिका रही। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के पीड़ितों का इलाज आसानी से हो सकेगा।

क्या हैं इसके लक्षण?
शरीर में लगातार कमजोरी और थकान बने रहना, श्वांस की समस्या का बढ़ना, धड़कन बढ़ जाना, त्वचा पीली पड़ना, लंबे समय तक इंफेक्शन बने रहना, नाक और मसूड़ों से खून आते रहना, चोट लगने के बाद जख्म से खून बहना बंद न होना, शरीर पर लाल चकत्ते पकड़ना, सिर चकराना या सिरदर्द, बुखार बने रहना, छाती में दर्द होना। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर जांच जरूर कराएं।

बीमारी की वजह क्या है?
बोन मैरो के अंदर खून बनना बंद हो जाना, कीमोथेरेपी और हाईडोज दवाओं का अधिक इस्तेमाल, रोग प्रतिरोधकता संबंधी समस्या, इंफेक्शन सहित नॉन वायरल हेपेटाइटिस के कारण भी अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी होती है। इसमें शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार कम होते रहता है। इसके साथ ही प्लेटलेट्स कम होना, श्वेत रक्त कणिका का कम होना। इसमें हर हफ्ते ब्लड चढ़ाना पड़ता है।

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