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International Doctor Day: अंतर्राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे पर मध्य प्रदेश की राजधानी में अपनी सेवाएं देने वाले डॉक्टरों जिनकी बात इस मौके पर न की जाए तो बेईमानी होगी। इस खास दिवस पर हम आज ऐसे डॉक्टरों की कहानी बता रहे हैं, जिन्हाेंने ने मरीजों की बीमारी के इलाज के लिए पहले सेवाभाव को चुना।

International Doctor Day: एक जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश में चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले हीरों की कोई कमी नहीं हैं। डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है। गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों का सहारा डॉक्टर ही होता है, जिस पर वह आंख बंद करके उसके निर्देशों का पालन करता है।

पेशे में व्यावसायिकता हावी है
वर्तमान समय में डॉक्टर के बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। अमूमन हर किसी के जीवन में ऐसा दुखद क्षण आता है, जब वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाता है। ऐसे समय में यदि आर्थिक संकट हो तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है। हालांकि सच्चाई यह भी कि इस पेशे में व्यावसायिकता हावी है, लेकिन कुछ डॉक्टर और अस्पताल ऐसे भी हैं जो इस संकट की घड़ी में निस्वार्थ भाव से मरीजों का इलाज करने से पीछे नहीं रहते। राजधानी के ऐसे ही कुछ खास डॉक्टरों से हरिभूमि ने नेशनल डॉक्टर्स डे पर बातचीत की।

मनोरिया परिवार अनोखा परिवार
राजधानी का मनोरिया परिवार अनोखा परिवार है। ये परिवार 50 साल से मरीजों को सेवा कर रहा है। इस परिवार में में लीन पीढ़िया चिकित्सा क्षेत्र में अपनी सेवा दे रही है। जिनकी प्रथम पीटी से डॉ. प्रभाष चंद मनोरिया (एमचीचीएस 1970, एमडी 1975, डीएस कार्डियोलॉजी 1977), डॉ. पंकज मनोरिया (एनदीचीएस 1996, एमडी 2002, डीएम कार्डियोलॉजी 2005) और डॉ. पियूष मनोरिया (एमबीबीएस 2007, एनडी 2014 एवं डीएम ठगेस्ट्रोएंट्रोलॉजी 2017) साथ ही डॉ. पंकज मनोरिया की पुत्री रिनी मनोरिया (तृतीय वर्ष एमडीसीएस अध्ययनरत है) ये तीनों पीढ़ियां लगातार समाज के लोगों को स्वस्थ रखने के लिए जिम्मेवारी के साथ अपना काम कर रही है। डॉ. मनोरिया ने बताया कि चिकित्सा पेशे में कई बार ऐसा घटनाएं सामने आती है. जिसमें लोगों के पास पैसे नहीं होते तो मैं अपने परिवार को उनके इलाज के लिए हमेशा आगे रखता हूं। इसलिए में इस पेशे को पैसों के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए चुना है।

सप्लीमेंट पाउडर से किडनी पर असर
हीदिया अस्पताल में इमरजेंसी मेडिकल आफिसर डॉ गौरव शर्मा ने बताया कि दवाईयों से बचने के लिए लोगों को फिट रहना बहुत जरूरी है। अपने बारे में उन्होंने बताया कि मैं रोज 5 बजे दौड़ता हूं, साइकिलिंग और तैराकी ती बचपन से कर रह हूं। मैं आयरन मैन की तैयारी भी कर रहा हूं। लोग जल्दी बॉडी बनाने प्रोटीन सप्लीमेंट पाउडर लेते हैं. जिससे किडनी, लिवर और बाल खराडा हो जाते हैं। अच्छी बॉडी और फिट रहने घर का खाजा खाएं, जिसमें अंकुरित चने, वारल हरी सब्जी जिसमें प्रोटीन मिल न जाता जाता है। है। फा फास्टफूड से दूर रहें, तभी स्वस्थ रह सकते हैं। लोग पूछते है कि कौनसी साइकिल ले किस तरह का खाना खाए तो अच्छा लगता है है कि लोग का देखकर फिटनेस के प्रति जागरूक हो रहे हैं।

भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमयानी रात
अंतर्राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे पर प्रदेश की राजधानी भोपाल में अपनी सेवाएं देने वाले एक डॉक्टर जिनकी बात इस मौके पर न की जाए तो बेईमानी होगी। इस खास दिवस पर हम आज ऐसे डॉक्टर की कहानी बता रहे हैं, जिसने एक रात में 815 लोगों का रिकॉर्ड पोस्टमार्टम किए थे। जी हां, झीलों की नगरी भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमयानी रात यूनियन कार्बाइड कंपनी से निकली जहरीली गैस से दहल उठा था।

डॉ. डीके सत्पथी की सेवा
दरअसल, उस रात भोपाल के हमीदिया अस्पताल के कंपाउंड में लाशें बिछी थीं। इन लाशों की फिक्र बस एक व्यक्ति को थी, जिनका नाम डॉ. डीके सत्पथी है। 3 दिसंबर 1984 के बाद इन्हें डॉक्टर डेथ के नाम से जाना जाता है। इस शख्स ने जहरीली गैस के शिकार लगभग तीन हजार से ज्यादा शवों का पोस्टमार्टम किया। इस त्रासदी को पूरे 39 साल हो गए, लेकिन हर बार जब भी ये तारीख कैलेंडर में दिखाई देती है तो शरीर में एक सिहरन सी दौड़ पड़ती है। उस रात भोपाल के अस्पतालों में हजारों लोग तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे थे और उन्हें बचाने वाला कोई नहीं था।

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