International Everest Day: एवरेस्ट पर भारत का झंड़ा फहराने का सपना हर कोई देखता है, लेकिन कुछ ही चुनिंदा लोग उसे पूरा कर पाते हैं। क्योंकि इसमें फिटनेस, साहस और हिम्मत की जरूत होती है। एवरेस्ट फतह के लिए लंबे समय तक तैयारी की जरूरत है, जिसमें अच्छे खासे रुपए भी खर्च होते हैं। यही कारण है कि साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी वाले मध्यप्रदेश से अब तक 7 लोग ही एवरेस्ट फतह कर पाए हैं। इंटरनेशनल एवरेस्ट-डे पर प्रस्तुत है पर्वतरोहियों से बातचीत के अंश... ।
मुझे एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने का गर्व हैः भगवान
मध्यप्रदेश में पहली बार माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले भगवान सिंह ने 19 मई 2016 को यह रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन इसकी तैयारी उन्होंने 6 साल पहले शुरू कर दी थी। चोटी पर पहुंचने में उन्हें 54 दिन का वक्त लगा। बताया कि उनके साथ 8 लोगों ने यात्रा शुरू की थी, लेकिन तीन की मृत्यु हो गई। 5 लोग चोंटी पर पहुंचे। इनमें से मप्र से मैं पहला व्यक्ति हूं। मेरा पैर आल भी सुन्न पड़ा है। रोजाना कई बार अभ्यास करता हूं, ताकि चल सकूं। भगवान सिंह ने बताया कि इसमें 25 लाख का खर्च हुए, लेकिन मुझे गर्व है कि एवरेस्ट पर भारत का तिरंगा फहराया है। 30 डिग्री में रहने का मतलब होता है कई बीमारियों को साथ लेकर आना।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होतीः ज्योति
19 मई 2024 को एवरेस्ट पर फतह पाने वाली ज्योति रात्रे ने कहा, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। मन के हारे हार है और मन के जीते- जीत। इसलिए 2023 में किसी की जान बचाने के चलते मात्र 200 मीटर से वापस लौटने के बाद मैंने दोबारा कोशिश की और नतीजा आपके सामने है। किसी भी जीत के लिए मन में जिद बहुत जरूरी है। मुझे कठिन रास्तों पर जाने का शौक है, इसलिए मैंने इस रास्ते को भी चुना। मैंने अभी तक महादीप के पहाड़ों पर तिरंगा फहराया।
- भगवान सिंह
- आशीष
- ज्योति रात्रे
- रत्नेश पांडेय
- मेघा परमार
- भावना डेहरिया
- मधुसंध पाटीदार