International Friendship Day: दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसका आधार एक दूसरे को समझने पर ही केंद्रित होता है, फिर यह दोस्ती लड़का- लड़की की हो तो लोग इसे प्यार समझने लगते हैं, लेकिन कई बार लड़का और लड़की के बीच की यह दोस्ती इतनी गहरी हो जाती है कि प्यार में बदल जाती है और फिर दोनों ही अपनी दोस्ती पर हो शादी की मुहर लगा देते हैं।

दोस्ती ताउम्र बरकरार रहेगी
आज इंटरनेशल फ्रेंडशिप डे पर हरिभूमि ने राजधानी के कुछ ऐसे कपल्स को तलाशा जिनको वैवाहिक बंधन में बंधे हुए कई दशक हो चुके हैं लेकिन इससे पहले वह गहरे मित्र हैं और उनकी यह दोस्ती आगे चलकर प्यार में बदली और यह प्यार विवाह में। अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पर इन लोगों ने कहा कि आज भले ही हम जीवन साथी हैं लेकिन इससे पहले हम सच्चे मित्र हैं और हमारी यह दोस्ती ताउम्र बरकरार रहेगी। इन्होंने कहा कि हमारे सच्चे मित्र रूपी जीवनसाथी के बिना हमारे वजूद की कोई कल्पना तक नहीं की जा सकती।

हसबैंड-वाइफ से ज्यादा बेस्ट फ्रेंड
मैकेनिकल इंजीनियर रजनीश पांडे का कहना है कि मेरी मुलाकात श्रद्धा से साल 2009 में हुई थी। वह मेरी पड़ोसन थी और अपने मतीजे के एडमिशन के चक्कर में मैने उनसे बातचीत की। बातचीत का यह दौर चला और श्रद्धा मेरी बेस्ट फ्रेंड बन गई। उन्होंने कहा कि क्योंकि श्रद्धा शुक्ला लिखती थी और में पांडे था तो मेरे पिताजी ने मजाक में यूं ही कहा कि तुम इस दोस्ती के रिश्ते को ताउम्र बरकरार रख सकते हो, विवाह बंधन में बंधकर और फिर हम लोगों की हंसी छूट गई क्योंकि हम दोनों काफी अच्छे दोस्त थे।

आखिरकार यह दोस्ती प्यार में बदली और फिर हमने शादी कर ली। आज श्रद्धा पर संमलते है और में जॉब करता हूं, लेकिन हमें देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि हम हसबैंड वाइफ है. हम दोनों बेस्ट फ्रेंड ही लगते हैं जैसे पहले लगते थे। हमारे बीच ऐसी अंडरस्टैंडिंग हैं कि झगड़े के बाद भी हम 15 मिल्ट में एक हो जाते हैं चिलकुल पक्के दोस्त की तरह।

किसी भी रिश्ते का आधार सम्मान 
सोशल एक्टिविस्ट प्रशांत दुबे ने कहा कि रोली और मेरी मुलाकात साल 2006 में हुई, वह इंजीनियर थी। उसने अपनी इंजीनियरिंग छोड़कर सोशल सेक्टर को चुना। में भी इसी क्षेत्र में कार्य कर रहा था। हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बने, क्योंकि हमारे विचार एक दूसरे से मैच हुए और दोस्ती इतनी गहरी हुई कि साल 2010 में हम विवाह बंधन में बंध गाए। लेकिन उसके बाद भी हमें ऐसा नहीं लगा कि हमारी दोस्ती कम हुई है।

प्रशांत ने कहा कि इस दोस्ती का आधार हो एक दूसरे के प्रति सम्मान रहा। आज रोली का मेरे प्रति और मेरा उसके प्रति सम्मान बढ़ा दिया है क्योंकि किसी भी रिश्ते का आधार सम्मान होता है। इसे रिस्पेक्ट के भाव के साथ हम अपने-अपने क्षेत्रों में काम करते हैं। में हह्यूमन ट्रैफिकिंग पर काम करता हूं और रोली युवाओं परा लेकिन हम एक दूसरे के प्रति हमेशा आदर का माव रखते है और एक दूसरे को बहुत अच्छी तरीके से समझते भी हैं।

इन 31 सालों में बेस्ट फ्रेंड पति ही हैं.....
वहीं शिवानी प्रदीप घोष का कहना है कि भले ही हमारी अरेंज मैरिज हुई है. लेकिन हमारी शुरुआत दोस्ती के साथ हुई क्योंकि मुझे भी सोशल सेक्टर में काम करने का शौक था और मेरे पति को भी। वह पहले से ही इस सोशल सेक्टर में एक्टिव थे और फिर मुझे इस क्षेत्र में लेकर गए। जहां मैने परवरिश के माध्यम से बच्चों की शिक्षा दीक्षा का जिम्मा उठाया, उन्हें निचले तबके से लेकर शिक्षित करना अपना जीवन का लक्ष्य रखा। मेरे इस काम में प्रदीप ने बहुत मदद की और हमेशा मुझे मोटिवेट किया।