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एमपी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने लहसुन सब्जी है या मसाला? विवाद मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 13 अगस्त को फैसला सुनाते हुए कहा कि लहसुन को सब्जी भी माना जाए। किसानों अब इसे सब्जी मंडी में बेच सकते हैं। ​​

MP High Court: इंदौर हाईकोर्ट ने आखिरकार लहसुन को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद का समाधान कर दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को 9 साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि इसे सब्जी भी माना जाए। कोर्ट ने किसानों को राहत दी है कि वे अब लहसुन को कृषि उपज मंडी के साथ सब्जी मंडी में बेच सकते हैं।

जानें कोर्ट ने क्या कहा 
मंडी अधिनियम के तहत वर्तमान में लहसुन को चटनी मसाला कैटेगरी में रखा जाता है। फैसले के बाद अनाज के साथ सब्जी मंडी दोनों श्रेणी में रख सकेंगे। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने कहा कि किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने को स्वतंत्र हैं। यह उनके विवेक पर है कि वे लहसुन को कमीशन एजेंट के माध्यम से सब्जी मंडी में बेचना चाहते हैं या कृषि उपज मंडी में सीधे थोक खरीदार को।

किसानों को बड़ा फायदा
हाईकोर्ट के फैसले से किसानों को बड़ा फायदा होगा। अब किसान अपनी सुविधा के मुताबिक, लहसुन को सब्जी मंडी में कमीशन एजेंट के माध्यम से बेच सकते हैं। यहां किसानों को हाथों-हाथ भुगतान मिल जाएगा। कृषि मंडी में भी किसान अपनी फसल बेच सकते हैं। हालांकि, कृषि मंडी में फसलों के बदले भुगतान के लिए किसानों को इंतजार करना पड़ा सकता है। अब हाई कोर्ट ने यह व्यवस्था दी है कि किसान अपनी सुविधा के अनुसार लहसुन की फसल को सब्जी बाजार के व्यापारियों को बेच सकेंगे।

प्याज पहले से सब्जी की श्रेणी में
मंडी बोर्ड के अनुसार, पहले लहसुन को केवल चटनी/मसाला माना जाता था, जबकि प्याज को पहले से ही सब्जी की श्रेणी में रखा गया है। नए फैसले के बाद अब प्याज-लहसुन एक ही श्रेणी में आएंगे। वर्तमान में, मंडी अधिनियम के तहत, लहसुन को केवल चटनी मसाला की श्रेणी में रखा गया है। अब इस फैसले के बाद इसे अनाज और सब्जी बाजार की दोनों श्रेणियों में रखा जा सकेगा। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के पुराने फैसले को इस मामले में सही पाया गया है। ताजा फैसले में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 2017 में इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करते हुए इसे फिर से दोहराया है।

जानें कोर्ट में कब-कैसे हुई इस मामले पर सुनवाई

  • इस मामले में  पुनर्विचार याचिका को पोटैटो अनियन कमीशन एसोसिएशन द्वारा दायर किया गया था। वकील अजय बगड़िया इस मामले में पैरवी कर रहे थे। कोर्ट में उन्होंने कहा कि मंडी बोर्ड ने लहसुन को कृषि उपज मानते हुए इसे कृषि उपज मंडी में बेचने का आदेश दिया था। 2016 में, एसोसिएशन ने प्रधान सचिव के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी।
  • इसके बाद, फरवरी 2017 में एकल न्यायाधीश ने उनके पक्ष में फैसला दिया। किसानों को कहीं भी, चाहे सब्जी बाजार हो या कृषि बाजार, लहसुन बेचने की सुविधा दी गई। लेकिन, 2017 में, मुकेश सोनी नामक व्यक्ति द्वारा एक पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। इस पर हाई कोर्ट की डबल बेंच ने फिर से लहसुन को चटनी मसाले की श्रेणी में शिफ्ट कर दिया।
  • हालांकि, इसके बाद, फिर से एक पुनर्विचार याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच की जस्टिस धर्माधिकारी और वेंकटारामण की डबल बेंच ने पुनर्विचार याचिका की सुनवाई की। 2017 में सिंगल बेंच के पुराने आदेश को फिर से बहाल कर दिया गया।
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