Tribal Pride Day: जनजातीय गौरव दिवस पर मध्य प्रदेश को दो ऐतिहासिक सौगात मिलने जा रही हैं। इनमें एक छिंदवाड़ा का बादल भोई जनजातीय संग्रहालय और दूसरा जबलपुर का नवनिर्मित राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह संग्रहालय है। पीएम नरेन्द्र मोदी 15 नवम्बर को बिहार के जमुई से इन दोनों संग्रालयों का वर्चुअल लोकार्पण करेंगे। यह दोनों संग्रहालय मध्य प्रदेश की जनजातीय संस्कृति और ऐतिहासिक तथ्यों को भावी पीढ़ी से रूबरू कराएंगे। साथ ही युवा कलाकारों को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका देंगे।
बादल भोई जनजातीय संग्रहालय
- छिंदवाड़ा स्थित बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का लोक निर्माण विभाग ने निर्माण 40 करोड़ 69 लाख की लागत से कराया है। वन्या संस्थान ने जनजातीय कार्य विभाग के सहयोग से यहां के लिए विरासतें संकलित की। पेंच-पचमढ़ी मार्ग पर स्थित इस संग्रहालय के आसपास कई दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थल हैं।
- नवीन जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय में 6 गैलरी, एक कार्यशाला और लाइब्रेरी है। 800 दर्शकों की क्षमता वाले ओपन एयर थिएटर, शिल्प बाजार और ट्राइबल कैफेटेरिया का निर्माण भी कराया गया है। पुराने जनजातीय संग्रहालय का नवीनीकरण कर जनजातीय संस्कृति से संबंधित विभिन्न प्रदर्शित किए गए हैं।
- नवीन जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय में मध्य प्रदेश के 9 स्वतंत्रता संग्राम और 16 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का जीवंत चित्रण किया गया है।
- प्रथम गैलरी रानी दुर्गावती को समर्पित है। इसमें रानी दुर्गावती के जीवन, शासन शैली और आक्रमणकारियों के खिलाफ संघर्ष को प्रदर्शित किया गया है।
- दूसरी गैलरी में ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेज सरकार ने गोंड राज्यों को अपने अधीन लेने के खिलाफ गोंड राजाओं के संघर्ष को चित्रित किया गया है।
- तीसरी गैलरी में ब्रिटिश सरकार के इंडियन फारेस्ट एक्ट-1927 के खिलाफ जनजाति समाज द्वारा किए गए संघर्ष और जंगल सत्याग्रह को प्रदर्शित किया गया है।
- चौथी गैलरी में भील-भिलाला जनजाति के गोरिल्ला युद्ध और भीमा नायक, खाज्या नायक और टंट्या भील जैसे वीरों का संघर्ष चित्रित है।
- गैलरी-5 और 6 समय-समय पर पेंटिंग और फोटो एग्जीबिशन के लिए आरक्षित किया गया है।
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राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह संग्रहालय जबलपुर
- राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह संग्रहालय जबलपुर जिस एक एकड़ भूमि पर बना है। वह जगह अपने आप में ऐतिहासिक है। क्योंकि अपने बलिदान से पहले राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह इसी जगह पर 4 दिन कैद रहे। इस ऐतिहासिक इमारत का जीर्णोद्वार 14 करोड़ 26 लाख की लागत से कराया गया है। ताकि उनके बलिदान स्थल से भावी पीढ़ी प्रेरणा ले सके।
- संग्रहालय की पहली दीर्घा में गोंड जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित किया गया है। दूसरी दीर्घा 1857 के स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को समर्पित है।
- तीसरी दीर्घा राजा शंकरशाह के दरबार हाल के रूप में प्रदर्शित की गई है। इसमें राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान की कहानी को फिल्म के जरिए प्रदर्शित किया गया है। उनकी रानियों और 52वीं रेजीमेंट के विद्रोह को अगली गैलरी में प्रदर्शित किया गया है।
- अंतिम गैलरी में थ्री-डी होलोग्राम के जरिए राजा और कुंवर को श्रद्धांजलि दी गई है। जेल भवन में दोनों राजाओं की प्रतिमाएं लगाई गई हैं।