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Collector Deepak Saxena: मध्यप्रदेश के जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बाल भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने बड़ा कदम उठाया है। कलेक्टर ने विशेष जागरूकता अभियान शुरू कर लोगों से भीख को नहीं शिक्षा को बढ़ावा देने की अपील की है।

Collector Deepak Saxena: मध्यप्रदेश के जबलपुर में कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने बड़ा कदम उठाया है। बाल भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगाने कलेक्टर ने विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है। कलेक्टर, पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग, और विभिन्न समाजसेवी संगठनों के साथ मिलकर काम करेंगे। अभियान का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा में जोड़कर उन्हें शिक्षा से जोड़ा जाना है। इसके लिए एनजीओ की भी मदद ली जा रही है ताकि बाल भिक्षावृत्ति को प्रभावी रूप से रोका जा सके।

बच्चे के पुनर्वास के लिए प्रशासन करेगा प्रयास 
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बाल भिक्षावृत्ति को समाप्त करने के लिए समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। कलेक्टर ने कहा कि लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वे बच्चों को भिक्षा देने से बचें, क्योंकि इससे उनका भविष्य प्रभावित होता है। प्रशासन इन बच्चों के पुनर्वास के लिए भी विशेष प्रयास करेगा।

भिक्षा मांगने पर 10 साल की जेल का प्रावधान
कलेक्टर दीपक ने कहा कि आईपीसी की धारा 133 के तहत भीख मांगना सार्वजनिक परेशानी (पब्लिक न्यूसेंस) माना गया है। इसके लिए सजा का प्रावधान है। भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम के तहत पहली बार पकड़े जाने पर दो साल और दूसरी बार पकड़े जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है। इस कानून को प्रभावी रूप से लागू करने की जिम्मेदारी पुलिस, सामाजिक न्याय विभाग और बाल संरक्षण आयोग पर है।

बच्चे क्यों मांगते हैं भीख? 
शहर के चौक-चौराहों और सड़कों पर छोटे बच्चे भीख मांगते हैं। ये बच्चे कहां से आते हैं? उनके माता-पिता क्या उन्हें इसके लिए भेजते हैं? बच्चे क्यों भीख मांगते हैं? बच्चों की क्या मजबूरी है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब तलाशने के लिए कलेक्टर दीपक सक्सेना ने  पुलिस और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति बनाई। कलेक्टर ने बाल भिक्षावृत्ति रोकने के प्रयासों की समीक्षा की और अभियान का शुभारंभ किया। कलेक्टर ने एनजीओ की भूमिका को अभियान का अहम हिस्सा बताया है।

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