Jabalpur Crime News: मध्य प्रदेश के जबलपुर में 8वीं कक्षा के छात्र से बेरहमी पूर्वक मारपीट का मामला सामने आया है। निजी स्कूल के हॉस्टल में रह रहे इस छात्र को वार्डन ने आधी रात सोते से उठाया और पिटाई शुरू कर दी। उसके चेहरे और पीठ पर चोट के गंभीर निशान हैं। कान में सुनाई भी नहीं देता। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने वार्डन मुकेश शर्मा (39) के खिलाफ एफआईआर कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया गया है।  

घटना 23 सितंबर की है। दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) में मंगलवार को कॉल-डे होता है। बच्चों को इस दिन पेरेंट्स से बात कराई जाती है। कॉल डे पर पेरेंट्स से बात करते हुए बच्चे ने आप बीती बताई तो बुधवार दोपहर उसके माता-पिता जबलपुर पहुंचे और पुलिस से शिकायत की। जबलपुर डीईओ घनश्याम सोनी ने बताया, स्कूल को नोटिस जारी कर प्रतिवेदन मांगा है।  

खेलते समय लग गया था धक्का 

  • छात्र ने पुलिस को बताया कि रूम में दोस्तों के साथ वह खेल रहा था। तभी एक छात्र को धक्का लग गया। घटना की जानकारी वार्डन मुकेश शर्मा को लगी तो उन्होंने 100 दंड बैठक लगवाई। सप्तााहभर बाद यह बात प्रिंसिपल को पता चली तो उन्होंने मुकेश शर्मा को फटकार लगाई।
  • वार्डन ने सोमवार 23 सितंबर रात 11.30 बजे छात्र और उसके दोस्तों को बुलाया और सबके सामने पिटाई शुरू कर दी। मैं रोता रहा और और वह मारते रहे। इस दौरान उन्होंने हॉस्टल में 2-3 अन्य स्टूडेंट्स से भी मारपीट की है। एक बच्चे को तो रॉड से पीटा है। छात्र प्रिंसिपल से शिकायत करने जाने लगे तो उन्होंने गेट पर ताला लगा दिया। 

रैगिंग केस में जेल भिजवाने की धमकी 
पिटाई के दूसरे दिन यानी मंगलवार 24 सितंबर को वार्डन मुकेश शर्मा ने मारपीट से जख्मी छात्र को डॉक्टर के पास ले गए। चेकअप के बाद दवाइयां दी, लेकिन पर्चा नहीं दिया। कहने लगे कि अगर किसी को कुछ बताया तो रैगिंग केस में जेल भिजवा दूंगा। बुधवार, 25 सितंबर को बच्चे के माता-पिता रीवा से जबलपुर पहुंचे और हॉस्टल में हंगामा किया। स्कूल अधीक्षिका और प्रिंसिपल ने समझाइश दी, लेकिन वह एक नहीं माने और बच्चे को लेकर थाने पहुंच गए।  

6 माह पहले भी हुआ था हाथ फ्रैक्चर 
छात्र के परिजनों ने बेटे को हैवी डोज की दवाएं देने का आरोप लगाया है। जबलपुर की गौर पुलिस को बताया, मारपीट के बाद वार्डन मंगलवार को बच्चे को डॉक्टर के पास ले गया और वहां ऐसी दवाएं दिलवाई, जो 13 साल से कम उम्र के बच्चे को नहीं दी जा सकतीं। लगता है कि वार्डन बेटे को बीमार करना चाहता था। 6 माह पहले भी उसका हाथ फ्रैक्चर हो गया था, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने जानकारी तक नहीं दी। हैरानी की बात है कि इतने बड़े स्कूल में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। हर साल दो लाख से ज्यादा फीस चुकाते हैं, लेकिन बच्चों के साथ इस तरह की बर्बरता की जाती है।