Logo
MP daily wage employees pension: जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को पेंशन के अयोग्य बताया है। इस संबंध में रीवा के पूर्व कर्मचारी की याचिका खारिज कर दी।

MP daily wage employees pension: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शु्क्रवार को सरकारी कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। जबलपुर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने कहा, अर्हकारी सेवा में आने के बाद ही कर्मचारी पेंशन के लिए पात्र होता है। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी पेंशन का अधिकारी नहीं है। कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका भी खारिज दी। 

पेंशन योग्य सेवा मानने से इनकार 
हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी पेंशन के अधिकारी नहीं हो सकते। अपने इस फैसले के साथ जस्टिस अग्रवाल ने मोतीलाल धर की याचिका भी खारिज कर दी। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बताया कि दैनिक वेतनभोगी रोजगार से तो जुड़ा है, लेकिन इसे पेंशन योग्य सेवा नहीं माना जा सकता। 

17 साल सेवा के बाद भी नहीं मिली पेंशन 
रीवा निवासी मोतीलाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बाताया था कि वह जल संसाधन विभाग में बतौर दैनिक वेतन भोगी सेवारत थे। 1995 से 2011 तक यानी 17 साल तक वह यहां अमीन के पद पर अपनी सेवाएं दीं, लेकिन सेवानिवृत्त होने के बाद शासन द्वारा उन्हें पेंशन के लिए पात्र नहीं माना गया। ऐसे में परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो रहा है। 

दैनिक वेतन भोगी अर्हकारी सेवा नहीं 
इस याचिका पर प्रदेश सरकार ने भी अपना पक्ष रखा। राज्य शासन के अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता ने जिस सेवाकाल का उल्लेख किया है, उस दौरान वह दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के तौर पर सेवारत थे। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने भी पाया कि प्ररकण पेंशन नियमों के 3 (पी), 1976 अर्हकारी सेवा से संबंधित है। अर्हकारी सेवा तब शुरू होती है, जब कर्मचारी पेंशन योग्य सेवा में शामिल हो। दैनिक वेतन भोगी पेंशन योग्य सेवा नहीं है।

jindal steel jindal logo
5379487