MP News : केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं में किस तरह से गरीबों का हक मारा जा रहा है। इसका एक नमूना भिंड जिले में उजागर हुआ है। जहां भ्रष्ट सरपंच और सचिव की मिली भगत से मनरेगा के मजदूरों का पैसा हड़पने की कोशिश की जा रही थी। यह काम मजदूरों से न कराते हुए जेसीबी मशीन से कराया जा था। जिस पर प्रशासन की ओर से छापेमार कार्यवाही की गई है।
तहसीलदार की मौजूदगी में जब्ती
मनरेगा के काम में लगी जेसीबी मशीन को तहसीलदार की मौजूदगी में जब्त कर लिया गया है। मनरेगा मजदूरों को मिलने वाला उनका मेहनताना भी इस काम के लिए स्वीकृत किया गया था, उस पर पतीला लगाने का काम भिंड जिले की पचेरा पंचायत के सरपंच और सचिव के द्वारा किया जा रहा था।
खेत तालाब के लिए स्वीकृत हुआ था
जानकारी के अनुसार भिंड जिले की पचेरा पंचायत में माजरा शेर सिंह का पुरा पर कन्हैया लाल के नाम से खेत तालाब के लिए स्वीकृत हुआ था। जिसका कार्य मनरेगा के तहत पंचायत द्वारा कराया जाना था, लेकिन सरपंच और सचिव ने मिली भगत कर तालाब की खुदाई जेसीबी मशीन से कराने लगे। जिसकी शिकायत मेंहगांव तहसीलदार को प्राप्त हुई थी। तहसीलदार प्रदीप केंन ने इस पर छापामार कार्रवाई करते हुए मनरेगा कार्य में लगी जेसीबी मशीन को जब्त कर अग्रिम कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन एसडीएम कार्यालय, जनपद कार्यालय और जिला पंचायत कार्यालय को भेज दिया है।
100 दिन रोजगार मुहैया कराने की गारंटी
केंद्र सरकार मनरेगा के तहत एक साल अर्थात 365 दिनों में 100 दिन रोजगार मुहैया कराने की गारंटी देती है। रोजगार की एवज में सरकार 241 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी प्रति व्यक्ति को प्रदान करती है, लेकिन सरपंच और सचिव मिलकर इस रोजगार योजना में पलीता लगाते हुए जेसीबी मशीनों से कार्य करा कर मजदूरों के रोजगार को हड़प रहे हैं।
वंचित लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंच सके
सरकार गरीबों के कल्याण हेतु जन कल्याणकारी योजनाएं संचालित करती है। जिससे शोषित और वंचित लोगों तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंच सके। ऐसी ही केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना (मनरेगा) महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना चलाई जा रही है। जिसमें हर गरीब मजदूर व्यक्ति को सरकार मजदूरी के माध्यम से रोजगार मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।