भोपाल: केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने भोपाल में विचारक, चिंतक व साहित्यकार डॉ. बलराम मिश्रा की अंग्रेजी भाषा की पुस्तक धर्म विस-ए-विस रिलीजन (Dharma Vis-a-Vis Religion) का विमोचन किया। इस मौके पर डॉक्टर बलराम मिश्रा ने कहा कि होलोकास्ट, फतवा, उपद्रव, हिंसा यह किसी धर्म का हिस्सा नहीं है, यह रिलीजन ने दिए हैं। किसी धर्म में ऐसा नहीं है, न ही कभी इसका हिस्सा रहा है। रिलीजन की वजह से दुनिया में उपद्रव हो रहा है। रिजीलन में तो बड़ी हिंसा आती है। जब धर्म का प्रकाश चला जाता है तो वहां अंधकार आ ही जाता है। दुनिया धर्म पर आचरण करें तो रिलीजन का अस्तित्व ही खुद व खुद मिट जाएगा। सनातन धर्म लाइफ की वैल्यूज सबके लिए समान हैं।
जिसने जान लिया वो दूसरों को कभी तकलीफ नहीं देगा
डॉ. मिश्रा ने सनातन धर्म और अन्य धर्मों को लेकर एक स्पष्ट नजरिया पेश करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा पद्मपुराण में लिखा है, श्रूयतां धर्मसर्वस्वं, श्रुत्वा चैवावधार्यताम्। आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत्। अर्थात्- धर्म का सर्वस्व जिसमें समाया है, ऐसे धर्म का सार सुनिए और सुनकर हृदय में उतारिए कि अपनी आत्मा को जो दुःखदायी लगे, वैसा आचरण दूसरों के साथ मत करिए। तो स्पष्ट है, जो अपनी आत्मा को जो दुःखदायी लगे, वैसा आचरण दूसरों के साथ न करें। इसके जिसने जान लिया वो दूसरों को कभी तकलीफ नहीं देगा।
यीशु मसीह और हजरत मोहम्मद ने जीया सनातन धर्म
डॉक्टर बलराम मिश्रा ने कहा कि लोगों की जो सहज प्रवृति है वो धर्म से ही शुद्ध होती है, लेकिन धर्म का मतलब रिलीजन नहीं है, यह बिल्कुल अलग है। मैंने अध्ययन किया तो देखा कि जीसस क्राइस्ट ने धर्म को जिया और उसी के लिए प्राण त्यागे। इसी तरह हजरत मोहम्मद ने भी धर्म को जिया और उसके लिए प्राण दिए। उन्होंने रिलीजन या सत्ता के लिए प्राण नहीं दिए। उन्होंने सनातन धर्म को जिया, यानी स्थापित जीवन मूल्यों को जिया।
सनातन के ओरिजिन को होगा समझना
डॉक्टर मिश्रा ने कहा कि आज के वातावरण में सनातन धर्म के जो तथाकथित फॉलोअर्स हिंदू हैं, उन्होंने इसको समझा नहीं। सनातन धर्म को लेकर चलना है तो उसके ओरिजन को समझना होगा, उसके पोषक व उसे सिंचित करने वाले प्रमुख लोग जीसस क्राइस्ट और हजरत मोहम्मद भी रहे हैं। यदि यह इकठ्ठे बैठे तो पता चले कि कोई अंतर ही नही। सनातन धर्म जो हिंदुत्व देता वो सिख, जैनिज्म, बौध धर्म भी देता है। बाकी जो ईसा मसीह और हजरत मोहम्मद के शब्द और व्यवहार हैं, इन पर फोकस करने की जरूरत है। उनके तथाकथित फॉलोअर्स ने उनके लिखे से मुक्त होकर, भय और प्रलोभन में आकर उसको बदल दिया। धर्म केवल एक है, सनातन धर्म जिसे इन सभी ने जीया है।