Chhindwara Lok Sabha Chunav 2024 Result: लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने मध्यप्रदेश में इतिहास रच दिया है। पहली बार एमपी की सभी 29 सीटों पर BJP का कमल खिला है। सबसे बड़ी बात है भाजपा ने पूर्व CM कमलनाथ का 44 साल पुराना किला भी कब्जा लिया है। छिंदवाड़ा में BJP के विवेक बंटी साहू ने 1980 से कांग्रेस के 'कमलनाथ परिवार' के किले पर अपना झंडा गाड़ दिया। छिंदवाड़ा की हार से एमपी ही नहीं देश में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट कैसे जीती? कितने पैंतरे अपनाए? कितने दिग्गज नेताओं ने ताकत झोंकी? इन पाइंट्स से समझिए भाजपा ने छिंदवाड़ा जीतने के लिए क्या कुछ नहीं किया?
भाजपा के कई नेताओं ने छिंदवाड़ा में डाला डेरा
कमलनाथ के गढ़ को जीतने के लिए भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं की फौज छिंदवाड़ा भेजी। कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय कई दिनों तक छिंदवाड़ा में डेरा डाले रहे। खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव दो दिन तक डटे रहे। अमित शाह और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा शिवराज ने 3 से ज्यादा सभाएं कीं। अनुराग ठाकुर और जेपी नड्डा ने भी छिंदवाड़ा में सभा कर कमलनाथ पर निशाना साथा था।
भाजपा की जीत का एक कारण यह भी
भाजपा संगठन बूथ स्तर तक मोदी का नाम और उनकी योजनाओं को पहुंचाने में सफल रहा है। शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना समेत भाजपा की हितग्राही मूलक योजनाओं का जमीनी असर कांग्रेस समझ नहीं पाई। कैलाश विजयवर्गीय ने तमाम सीटों की कमान संभालने के साथ छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा वक्त बिताया। कैलाश ने यह तक कहा कि मैं छिंदवाड़ा को गोद लूंगा। देश का नंबर वन जिला बनाऊंगा।
ऐसे समझिए... भाजपा का छिंदवाड़ा जीतने का फुलप्रूफ प्लान
- छिंदवाड़ा के लोगों का कमलनाथ से पुराना नाता है। भाजपा इस बात को अच्छी तरह से जानती थी। इसीलिए BJP ने कमलनाथ पर सीधे अटैक नहीं किया। क्योंकि कमलनाथ पर सीधे हमले को लोग बर्दाश्त नहीं करते। भाजपा ने नकुलनाथ को टारगेट किया।
- सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के नेता भी नकुलनाथ को आगे बढ़ाने से भी नाराज थे, लेकिन वे कमलनाथ के सामने बोलते नहीं थे। भाजपा ने इसे भांप लिया था।भाजपा ने ऐसे असंतुष्ट कांग्रेसियों को साधकर अपने खेमे में कर लिया।
- भाजपा छिंदवाड़ा नगर निगम के पार्षदों को भरोसा दिलाने में कामयाब रही कि सत्ता के साथ रहोगे तो छिंदवाड़ा का विकास हो सकेगा। पार्षद बीजेपी में आ गए।
- मेयर विक्रम अहाके ने भी बीजेपी का हाथ थामा हालांकि वोटिंग डे पर महापौर फिर कांग्रेस के साथ आ गए थे, लेकिन तब तक शहरी वोटर का सेंटिमेंट भाजपा के पक्ष में हो चुका था।
- पिता-पुत्र के बीजेपी में जाने की अटकलों का फायदा भी बीजेपी को ही हुआ। वजह ये रही कि 3 दिन तक ये अटकलें लगीं, लेकिन नाथ ने इसका खंडन नहीं किया। कई कांग्रेसी तो कमलनाथ के कांग्रेस छोड़ने के भ्रम में ही बीजेपी में आ गए।
कमलनाथ के करीबियों को तोड़ा
पूर्व सीएम कमलनाथ के साथ दिली रिश्ता रखने वाले छिंदवाड़ा के नेता नकुलनाथ के कामकाज से खुश नहीं थे। बीजेपी ने इस नाराजगी को भांपकर कांग्रेसी खेमे में सेंधमारी की। अमरवाड़ा के कांग्रेस विधायक कमलेश शाह को बीजेपी में शामिल किया। इसके बाद कमलनाथ के सबसे भरोसेमंद दीपक सक्सेना को भाजपा में लए। इसके बाद एक-एक कर कांग्रेस के पार्षद भी बीजेपी के हो गए।
कमलनाथ का सियासी सफर
- कमलनाथ 1991 से 1994 तक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री रहे। जबकि, सन 1995 से 1996 केंद्रीय कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय परिवहन एवं कपड़ा मंत्री रहे। 2012 से 2014 तक शहरी विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री की भूमिका निभाई।
- कमलनाथ ने 17 दिसंबर 2018 को मप्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन 15 महीने बाद सिंधिया समर्थक 28 विधायकों के दल बदल से कांग्रेस सरकार गिर गई। इसके बाद वह नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली। हालांकि, व्यस्तता का हवाला देकर बाद में सीएलपी लीडर का पद छोड़ दिया था।
- कमलनाथ ने 1968 में युवक कांग्रेस के जरिए सियासत में कदम रखा था। 1976 में यूपी में यूथ कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए। 1970-81 तक राष्ट्रीय परिषद के सदस्य, 1979 में महाराष्ट्र के पर्यवेक्षक रहे। 2000-2018 तक AICC के महासचिव और 2017 में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए थे।
करोड़ों की सम्पत्ति, 600 से अधिक विदेशी यात्राएं
कमलनाथ कद्दावर राजनेता के साथ बड़े उद्योगपति भी हैं। परिवार के पास सैकड़ों करोड़ की सम्पत्ति है। 1982 से 2018 तक उन्होंने 600 से अधिक विदेशी यात्राएं की है। अधिकांश देशों में संयुक्त राष्ट्र संघ की साधारण सभा से लेकर अंतरराष्ट्रीय संसदीय सम्मेलनों में सम्मिलित हुए। 2006 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर ने डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा था।
- कमलनाथ के 10 सियासी कदम
- 1968 में युवक कांग्रेस ज्वाइन की
- 1976 में उत्तर प्रदेश युवक कांग्रेस के प्रभारी बने
- 1970-81 तक युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे।
- 1980 में छिंदवाड़ा से पहली बार सांसद बने।
- 2000 से 2018 तक AICC के महासचिव रहे।
- 2017 में मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए।
- 2017 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए।
- 2020 में सरकार गिरी तो नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाली
- 2023 में छिंदवाड़ा से दोबाार विधायक चुने गए, लेकिन सरकार न बन पाने के कारण अध्यक्ष पद छोड़ दिया।
26 साल बाद भाजपा की जीत
भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट पर 26 साल बाद जीत दर्ज की है। 1980 से लगातार कमलनाथ सांसद रहे। 2019 में उनके बेटे नकुलनाथ सांसद बने। 1997 में एक बार केवल भाजपा यहां से जीती थी। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा सांसद बने थे। उसके अलावा कभी भी 1980 के बाद से कांग्रेस छिंदवाड़ा का चुनाव नहीं हारी। इस बार एक बंटी साहू ने नकुलनाथ को एक लाख 13 हजार 655 वोटों से शिकस्त दी। स्वतन्त्रता के बाद से अभी तक हुए कुल 19 लोकसभा चुनाव में केवल 1997 के लोकसभा चुनाव में यहां पर भाजपा के सुंदरलाल पटवा ने जीत दर्ज की थी। इसके अतिरिक्त 18 बार से यहां पर कांग्रेस का ही कब्जा है।