भोपाल। मध्यप्रदेश के लोगों को बिजली का झटका लगने वाला है। मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी एक बार फिर घरेलू और गैर घरेलू बिजली उपभोक्ताओं पर बिजली बिलों का भार लादने की तैयारी में है। कंपनी बिजली 3.86 प्रतिशत दाम बढ़ाने जा रही है। आने वाले वित्तीय वर्ष 2024-25 में बिजली कंपनी ने 2046 करोड़ रुपए का अंतर बताकर बिजली के दामों में 3.86 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यमवर्गीय बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। बता दें कि पिछले 12 साल में घरेलू बिजली 83 प्रतिशत और गैर घरेलू बिजली के दाम 64 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
22 जनवरी तक सुझाव और अपत्तियां मांगी गई हैं
बिजली कंपनी ने नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है। याचिका में प्रदेश में वाणिज्यिक और इंडस्ट्री श्रेणी के उपभोक्ताओं पर 15 प्रतिशत भार बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। सभी श्रेणी को मिलाकर कंपनी ने वर्ष 2024-25 के लिए औसतन 3.86 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। मप्र विद्युत नियामक आयोग की ओर से 22 जनवरी तक सुझाव और अपत्तियां मांगी गई हैं। विद्युत मामलों के जानकार एडवोकेट ने मप्र विद्युत नियामक आयोग को अपत्ति करते हुए कहा है कि विद्युत कंपनियों ने वाणिज्यिक संस्थान और उद्योगों के लिए प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 15 प्रतिशत तक टैरिफ में वृद्धि प्रस्तावित की है, जो बहुत ज्यादा है।
12 साल पहले 4.07 रुपए थे प्रति यूनिट दाम
घरेलू बिजली की कीमत 12 साल पहले 4.07 रुपए प्रति यूनिट थी। यह बढ़कर अब 6.49 रुपए पहुंच गई है। महंगी बिजली से निचला तबका परेशान है। हालांकि 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली सब्सिडी की वजह से उन पर बढ़े दाम का असर न के बराबर होगा। सबसे ज्यादा मुश्किल मध्यम वर्गीय परिवारों को होगी, जिनकी मासिक खपत औसतन 150 यूनिट से अधिक है।
ऐसे समझें...किस वर्ष क्या हुआ?
जानकारी के मुताबिक, 2008 और 2009 में बिजली कंपनी ने महज तीन पैसे का इजाफा किया । 2013 और 2014 में दाम में कटौती की। वर्ष 2012-13 में प्रति यूनिट बिजली की कीमत 4.66 रुपए थी। 2013-14 में घटकर 4.35 रुपए प्रति यूनिट हो गई। 2018 में दाम 5.85 रुपए प्रति यूनिट थे, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 5.95 रुपए तक पहुंच गए। 2020 में बिजली के दाम में 1.98 फीसदी बढ़ोतरी हुई। 30 जून को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 0.69 फीसदी बिजली के दाम बढ़ाने को आयोग ने मंजूर किया।
साल दर साल ऐसे बढ़ते गए बिजली के दाम
वर्ष | घरेलू | कृषि | इंडस्ट्री |
2011-12 | 4.07 | 3.28 | 5.47 |
2012-13 | 4.66 | 3.57 | 5.81 |
2013-14 | 4.35 | 3.61 | 5.76 |
2014-15 | 4.68 | 3.72 | 5.85 |
2015-16 | 5.04 | 3.99 | 6.69 |
2016-17 | 5.34 | 4.53 | 7.30 |
2017-18 | 5.85 | 5.16 | 7.97 |
2018-19 | 5.95 | 5.02 | 7.45 |
2019-20 | 6.43 | 5.46 | 8.54 |
2020-21 | 6.29 | 5.60 | 9.43 |
2021-22 | 6.42 | 5.73 | 9.19 |
2022-23 | 6.36 | 5.91 | 9.65 |
2023-24 | 6.49 | 6.02 | 8.99 |