महाकुंभ 2025: एकात्म धाम आकर्षण का केंद्र, पहली बार आएंगे शंकराचार्य; देश-दुनिया के विद्वान भी होंगे शामिल

Mahakumbh 2025 Prayagraj Ekatam Dham From Acharya Shankar Ekta Nyas Madhya Pradesh
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महाकुंभ 2025 में एकात्म धाम का आकर्षण
महाकुंभ 2025: उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन किया जा रहा। इसमें एकात्म धाम आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा। जिसमें देश-दुनिया के विद्वान 5 प्रमुख विषयों पर अद्वैत दर्शन की प्रासंगिकता पर विमर्श करेंगे। वहीं, पहली बार शंकराचार्य भी आएंगे।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में इस बार एकात्म धाम आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास मध्यप्रदेश ने प्रयागराज के झूंसी स्थित सेक्टर-18 हरिश्चन्द्र मार्ग पर 3 एकड़ में एकात्म धाम शिविर आयोजित किया है। यहां हर दिन आध्यात्मिक कार्यक्रम होंगे। शास्त्रार्थ सभा में शंकराचार्य विधुशेखर भारती, सदानंद सरस्वती और जूनापीठाधीश्‍वर स्‍वामी अवधेशानन्‍द गिरि महाराज भी शामिल होंगे।

एकात्म धाम शिविर में हर दिन अद्वैत वेदांत पर केन्द्रित संवाद, श्रवण, मनन, निधिध्यासन द्वारा ध्यान, शास्त्रार्थ सभा, संत समागम, शंकर संगीत एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम, वैदिक अनुष्ठान एवं भाष्य पारायण, 'एकात्म धाम' प्रकल्प पर केन्द्रित प्रदर्शनी, अद्वैतामृतम्, विमर्श सभा, पुस्तक प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र होगी।

पहली बार आएंगे शंकराचार्य
महाकुंभ में दशनामी संन्यास परंपरा के लाखों साधु-संत, संन्यासी, आचार्य महामंडलेश्वर, महंत सहित आर्ष परंपरा के मनीषी महाकुंभ में शामिल होते हैं, लेकिन यह पहला मौका है, जब श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती सन्निधानम् आएंगे। वह 25 और 26 जनवरी को आयोजित शास्त्रार्थ सभा और 27 जनवरी को संत-समागम की अध्यक्षता करेंगे। संत समागम में द्वारिका शंकराचार्य श्री श्री सदानंद सरस्वती, जूनापीठाधीश्‍वर आचार्य महामंडलेश्वर स्‍वामी अवधेशानन्‍द गिरि महाराज सहित हजारों साधु संत शामिल होंगे। शास्त्रार्थ सभा में देश-दुनिया के प्रमुख विद्वान आएंगे, जो आत्मा, जगत जैसे मनुष्य के जिज्ञास्य विषयों पर चिंतन की अनेक धाराओं के अनुसार विवेचना करेंगे। इसके अलावा शास्त्रार्थ सभा में प्रो. राजाराम शुक्ल (वाराणसी), प्रो. मणि द्रविड़ शास्त्री (चेन्नई), प्रो. श्रीहरि शिवराम धायगुड़े (तिरुपति) सहित अनेक विद्वान शामिल होंगे।

देश-दुनिया के विद्वान करेंगे विमर्श
विमर्श सभा में देश-दुनिया के विद्वान 5 प्रमुख विषयों पर अद्वैत दर्शन की प्रासंगिकता पर विमर्श करेंगे। 28 जनवरी को अद्वैत एवं पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व कार्यकारी निदेशक (पर्यावरण) एवं एकात्‍म धाम के एम्‍बेंसडर एरिक सोहेम, परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद मुनि, पद्मभूषण अनिल जोशी विमर्श में शामिल होंगे। 31 जनवरी को अद्वैत एवं विकास विषय पर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, एरिक सोहेम विमर्श करेंगे। इसके बाद 2 फरवरी को अद्वैत एवं शांति विषय पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्‍‍थापक पद्मविभूषण श्री श्री रविशंकर अपना उद्बोधन देंगे। 4 फरवरी को अद्वैत एवं संस्कृति और 5 फरवरी को अद्वैत एवं विज्ञान विषय पर आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. कामकोटि, रामकृष्ण मिशन के स्वामी आत्मप्रियानंद, प्रो. मृत्युंजय गुहा सहित अनेक विषय विशेषज्ञ सम्मिलित होंगे।

शिविर में 12 से 17 जनवरी तक आनंदमूर्ति गुरू मां आचार्य शंकर विरचित दृग्दृश्यविवेक, 25 से 27 जनवरी तक स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ‘कठोपनिषद’, 6 फरवरी को स्वामिनी विमलानंद सरस्वती और 7 फरवरी को स्वामी मित्रानंद सरस्वती आचार्य शंकर के जीवन दर्शन पर संवाद करेंगे। 6-7 फरवरी को ही शाम 6 बजे से अभिनेता नीत‍िश भारद्वाज और कोरियोग्राफर मैत्रेयी पहाड़ी ‘शंकर गाथा’ की प्रस्तुति देंगी। 8 से 12 फरवरी तक रामजन्म भूमि न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देव गिरि प्रतिदिन शंकरो लोकशंकर: आचार्य शंकर के जीवन प्रसंग पर कथा करेंगे।

सांस्‍कृतिक एवं वैचारिक महाकुम्‍भ के साथ ‘एक ओंकार’ (Sounds of Oneness) में गूंजेगे एकात्मता के स्वर...

सांस्‍कृतिक कार्यक्रम की श्रृंखला में ‘एक ओंकार’ के अंतर्गत अलंकार सिंह ‘गुरूवाणी’ में अद्वैत गायन, पद्मश्री मधुप मुद्गल ‘कबीर वाणी’ में अद्वैत गायन, जयतीर्थ ‘संत तुकाराम’ की वाणी में अद्वैत (अभँग) और रजनी गायत्री ‘शंकर स्त्रोतम्’ की प्रस्तुति देंगी। वैदिक अनुष्‍ठान के साथ ही प्रतिदिन 20 बटुक एवं आचार्य वेद एवं भाष्‍य पारायण करेंगे।

एकात्मधाम प्रकल्प के अंतर्गत आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची बहुधातु 'एकात्मता की मूर्ति' (Statue of Oneness), आचार्य शंकर के जीवन और दर्शन पर आधारित संग्रहालय 'अद्वैत लोक' एवं अद्वैत वेदान्त दर्शन के अध्ययन, शोध एवं विस्तार हेतु 'आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान' की स्थापना करते हुए एकात्मता के वैश्विक केन्द्र (A Global Centre of Oneness) के रूप में विकसित किया जा रहा है।

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