हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट मामला: औद्योगिक सुरक्षा के डिप्टी डॉयरेक्टर निलंबित, निरीक्षक बरवा के खिलाफ चार्जशीट

Harda factory blast case
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6 फरवरी को हरदा की फैक्ट्री में हुआ था ब्लास्ट। 14 लोगों की हुई थी मौत।
हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। श्रम विभाग ने औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रभारी संचालक और उपसंचालक एपी सिंह को निलंबित कर दिया है। ब्लास्ट मामले में सस्पेंड निरीक्षक नवीन कुमार बरवा के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई है।

भोपाल। हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। बुधवार को श्रम विभाग ने औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रभारी संचालक और उपसंचालक एपी सिंह को निलंबित कर दिया है। उपसंचालक एपी सिंह को जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाने पर निलंबित किया है। इधर हादसा ब्लास्ट मामले में सस्पेंड निरीक्षक नवीन कुमार बरवा के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी गई है। बरवा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई है। बता दें कि फैक्ट्री ब्लास्ट को लेकर सोमवार को श्रम विभाग की जांच रिपोर्ट विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल ने लौटा दी थी। इसके बाद ही यह कार्रवाई की गई है।

मंत्री प्रहलाद जांच से संतुष्ट नहीं
बता दें कि हरदा की पटाखा फैक्ट्री में 6 फरवरी की सुबह 11 बजे ब्लास्ट हुआ था। धमाके से 14 लोगों की मौत हुई है। 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हादसे के बाद श्रम विभाग ने जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट मंत्री प्रहलाद पटेल के पास पहुंची थी। मंत्री प्रहलाद ने सोमवार को रिपोर्ट लौटा दी थी। मंत्री प्रहलाद ने हादसे को लेकर कहा था कि मैं अपने विभाग की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हूं, इसलिए उसे स्वीकार नहीं किया है।

प्रहलाद ने कहा था-गड़बड़ी करने वाले अफसरों को सेवा का अधिकार नहीं
श्रम मंत्री प्रहलाद ने अफसरों से कहा था कि हरदा कलेक्टर या विभाग के पास कोई पेपर हो तो दिखाएं। अन्यथा हमें अपने मैकेनिज्म पर विचार करना करना पड़ेगा। क्या तरीका अपनाएं कि प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सके। साथ ही जांच में हुई देरी पर भी चिंता जताई। कहा, गड़बड़ी करने वाले अफसरों को सेवा करने का अधिकार नहीं है। इसी के बाद बुधवार को दो अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिरी है।

मंत्री ने अफसरों से पूछा मजदूरों की सूची ही नहीं तो सत्यापन कैसे किया?
मंत्री प्रहलाद पटेल ने मंगलवार अफसरों से सवाल करते हुए कहा था कि हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में अभी जो पीड़ित हैं, पब्लिक में उनकी संख्या ज्यादा बताई जा रही है। मजदूरों की संख्या तो 32 ही है, लेकिन जब सूची ही नहीं हैं तो सत्यापन कैसे किया? किसी घायल से पूछकर उसे श्रमिक तो नहीं बता सकते न। इंडस्ट्री में काम करने वाले श्रमिकों का नाम ही नहीं है तो उनके साथ न्याय कैसे होगा। मंत्री ने अफसरों से पूछा कि यदि 2015 में उसी जगह पर हादसा हुआ था तो उस फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की संख्या का एनरोलमेंट क्यों नहीं था?

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