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Manjar Bhopali Exclusive: 'चुनावी संवाद' में हम एक ऐसे शख्स से संवाद करने जा रहे हैं जो प्रख्यात शायर हैं, जिनकी कलम पिछले तीन दशकों से अपनी उम्दा गजलों, शेरो-शायरी से अवाम के प्यार की हकदार बनी हुई है।

Manjar Bhopali Exclusive: 'चुनावी संवाद' में हम एक ऐसे शख्स से संवाद करने जा रहे हैं जो प्रख्यात शायर हैं, जिनकी कलम पिछले तीन दशकों से अपनी उम्दा गजलों, शेरो-शायरी से अवाम के प्यार की हकदार बनी हुई है। उनके कुछ शेर इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिन्हें कुछ लोग वर्तमान सियासत से जोड़ कर देख रहे हैं। ये हैं मंजर भोपाली। मंजर भोपाली का कहना है कि धर्म को आप मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारे में रखें। हम तो हिंदुस्तानी लोग हैं। देश में जब भी कोई योजना बने तो हिंदुस्तानियों के लिए बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बांध बनाए, चंद्रमा पर गए, बहुत सारी तरक्की कि लेकिन ये सारी तरक्कियां हिंदू-मुसलमान के नीचे दब गईं। यह किसने कह दिया कि हम आरएसएस या भाजपा से नफरत करते हैं। ये किसने कहा कि हम मोदी विरोधी हैं। अभी ऐसी बहुत सी जगह खाली हैं जहां रंग भरना है, वो नरेंद्र मोदी ही भर सकते हैं। मंजर का ये भी कहना है कि आप किसी एक को नजरअंदाज करके कभी 400 पार नहीं कर सकते हैं। मंजर भोपाली 'हरिभूमि और आईएनएच' न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से 'चुनावी संवाद' कार्यक्रम में अपनी बात रखी है।

ये भी बोले मंजर
■ यह किसने कह दिया कि हम आरएसएस या भाजपा से नफरत करते हैं। ये किसने कहा कि हम मोदी विरोधी हैं
■ अभी ऐसी बहुत सी जगह खाली हैं जहां रंग भरना है, वो नरेंद्र मोदी ही भर सकते हैं
■ आप किसी एक को नजरअंदाज करके कभी 400 पार नहीं कर सकते हैं

प्रख्यात शायर मंजर भोपाली से 'हरिभूमि और आईएनएच' न्यूज चैनल के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी का 'चुनावी संवाद

सवालः  न आप चुनाव लड़ रहे हैं, न आप चुनाव लड़ा रहे हैं, फिर भी आप खूब चर्चाओं में आ रहे हैं, ये चर्चा आपको कितनी भा रही है?
जवाबः यह चर्चा न मुझे भा रही है, न परेशान कर रही है। मैं सियासत में नहीं हूं, न चुनाव लड़ रहा हूं। हां, ये जरूर है जो चुनाव लड़ रहे हैं, वे परेशान हो रहे हैं। 1991 में मैंने जो शेरो- शायरी की थी आज लोग क्यों उससे परेशान हैं, यह बात मुझे समझ नहीं आ रही। शायर या कवि समाज का एक आईना होता है. एक दर्पण होता है। मेरा हमेशा से यह कहना है कि ईश्वर ने कलमकारों में चाहे वो पत्रकार हों, शायर हों, कवि हो या साहित्यकार हों उनकी आंखों में डिजिटल कैमरा लगा रखा है। वो अपने शब्दों के माध्यम से अपने दौर की तस्वीर बना देते हैं और वही तस्वीर आगे जाकर इत्तेहाद बनती है। अगर मैंने कुछ शेर जो उस दौर में कहे थे और आज वे इस दौर में वायरल हो रहे हैं, या पसंद-नापसंद किए जा रहे हैं तो इसमें शायर का कोई दोष नहीं है।

सवालः आपका शेर जो सर्वाधिक लोकप्रिय हो रहा है, 'मुझको अपने बैंक की किताब दीजिए, देश की तबाही का हिसाब दीजिए यह किस परिवेश में आपकी कलम से निकला हुआ शेर है?
जवाब: मेरे पास 100 रुपए का पेन और दो-तीन रुपए की कॉपी है। मैं शब्दों की लकीरें बनाता हूं। वो लकीरें शब्दों का माध्यम बन जाती हैं। और शब्द ही इंसान को परेशान करते हैं और सुकून देते हैं। यह शेर मैंने 1990-91 में कहे थे और इसे वॉशिंगटन डीसी में पढ़ा था। तब इसका न तो सियासत से, न किसी पार्टी विशेष से ताल्लुक था। यह तो प्रशासन से है, शासन से नहीं है। प्रशासन के लोग जो हमें परेशान कर रहे हैं, जिस तरीके से हमारे समाज को डुबो रहे हैं। जिस तरह से शासन की पॉलिसी को रोक देते हैं और भ्रष्टाचार करते हैं। ये सारी बातें इस गीत में उसी से संबंधित हैं। अब सरकार खुद मेरे इन शब्दों की शॉल को ओढ़ना चाहती है तो इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है। मैं दोहराता हूं मुझको अपने बैंक की किताब दीजिए, देश की तबाही का हिसाब दीजिए। गांव-गांव जख्मी फिजाएं हो गई. जहरीली घर की हवाएं हो गई, महंगी शराब से दवाएं हो गई, दीजिए अवाम को जवाब दीजिए, देश की तबाही का हिसाब दीजिए। 1991 का यह गीत था। उस जमाने में हरिओम पंवार, बैरागी, नीरज मोहब्बत के गीत लिख रहे थे तो दूसरी ओर मैं, राहत इंदौरी, मुनव्वर राणा इस तरह की शायरी कर रहे थे। उस समय शायरी के माध्यम से लोगों को मोहब्बत का पैगाम देते थे, अवाम को जागरूक करते थे कि जब भी वोट डालें या शासन- प्रशासन तक अपनी बात कहनी हो तो इस तरह से उसे कहते थे।

सवालः वर्तमान सरकार कहती है कि दवाएं सस्ती हो गई और जनता कहती है शराब महंगी हो गई। क्या वाकई ऐसा हुआ है, आपका क्या कहना है?
जवाबः दिल्ली के लाल किले से कहा एक शेर सुनाता हूं। ओ मिट्ठू मेरे बोल अपने देश में क्या-क्या होता है चोर करे रखवाली घर ही और सिपाही सोता है। बोल अपने देश में क्या-क्या होता है। इस तरह के गीत उस जमाने में लिखे जा रहे थे और उस जमाने में बड़े-बड़े घोटाले हो रहे थे। उस जमाने में बोफोर्स, जैन डायरी के घोटाले हो रहे थे तो यह उस जमाने के गीत हैं। बड़े-बड़े लोगों ने यह गीत सुना। एक और शेर है- रंग-रंग के सांप हमारी दिल्ली में, मिलेंगे जहरों के व्यापारी दिल्ली में। एक से बढ़कर एक मदारी दिल्ली में, रंग-रंग के सांप हमारी दिल्ली में। अभी 10 सालों में तो मोहब्बतों की बात हो रही है। कलमकार प्यार, मोहब्बत की बातें लिख रहे हैं। ताकि एक संदेश जाए पूरी दुनिया को कि यह राम का देश है, कृष्ण का देश है। यहां बुद्ध, नानक, चिश्ती रहे। यहां कबीर रहे, गालिब रहे। यहां से सिर्फ मोहब्बत का पैगाम जाना चाहिए। मोहब्बत ही हमारी जिंदगी है, इसके बिना हर इंसान अधूरा है।

सवालः उस समय जो लिखा और आज जो लिख रहे हैं उससे क्या हालात में बदलाव आया है?
जवाबः में यह तो नहीं कहूंगा कि हालात खराब हुए हैं। हमारे देश ने बहुत तरक्की की है। बहुत उन्नति की है। लोठा राजनीतिक चश्मा लगाकर देखते हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया में 99 प्रतिशत भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर, आईटी प्रोफेशनल्स हैं। अमेरिका के मेडिकल साइंस में डॉक्टर आदि हम ही लोग जजर आएंगे। अरब में व्यापार करने वाले लोठा भारतीय हैं। बड़ी तादाद में वहां भारतीय काम कर रहे हैं। बड़े पदों पर है। भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है। मगर हमने अपने आप में इबंककर नहीं देखा कि हमने कितनी तरक्की की है। हम सिर्फ विरोध करते रहते हैं, फिर वो चाहे किसी सरकार का हो, शायर का हो या पत्रकार का हो। देश के तरक्की की देश तरक्की कर रहा है। बहुत छोटे-छोटे लोगों ने देश के लिए बहुत बड़े-बड़े काम किए हैं। भारत 21 वीं सदी में उन्नति की दृष्टि से, प्रगति की दृष्टि से दुनिया भर में सबसे बेहतरीन मुल्क है। सियासत भले ही कुछ भी कहती रहे। 1951 की तुलना में हमें तो देश में मोहब्बते नजर आती हैं। आम आदमी प्यार करता है। आम आदमी ने बहुत तरक्की की है। आज रोटी, कपड़ा, मकान का नारा लालच हो गया है। आज आम आदमी को रोटी मिल रही है. वो अच्छे कपड़े पहन रहा है, झोपड़िया अच्छे घरों में बदल गई है। हमारे हाईवे अमेरिका के हाईवे से अच्छे हैं। हमारे देश ने बहुत तरक्की की है। हमारा देश और उन्नति के रास्ते पर है।

सवालः आप एक शायर और एक नागरिक होने के चलते पिछले 10 सालों को किस रूप में देखते हैं?
जवाबः 10 साल सुनहरे हैं, हमें मायूस नहीं होना चाहिए। हां, कुछ चीजें धर्म को लेकर हुई। हिंदू मुसलमान को लेकर हुई। भारत पाक को लेकर हुई। 400 पार की बात हो रही है अच्छी बात है। लेकिन धर्म विशेष के लोगों को नजर अंदाज करके, न तो उनसे वोट मांगा जा रहा है। यदि 30 करोड़ लोगों में से 10-15 करोड़ लोग वोट का अधिकार रखते है और यदि ये किसी एक पार्टी विशेष को वोट नहीं दे रहे तो ये कैसे 400 पार करेंगे। आप किसी एक को नजरअंदाज करके कमी 400 पार नहीं कर सकते। जो यह कह रहे हैं कि देश को 2014 के बाद आजादी मिली उन्हें वह आजादी मुबारक हो। वैसे देश को 1947 में आजादी मिली थी और इसके लिए कई लोगों ने कुरचानियां दी थीं। इस सरकार ने बहुत से काम किए हैं। बांध बनाए, चंद्रमा पर गए, बहुत सारी तरक्की कि लेकिन ये सारी तरक्कियां हिंदू मुस्लिम के नीचे दाब गई।

सवालः पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कांग्रेस और विपक्षी दल तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं, आपकी क्या राय
जवाब: पीएम चाहे तो एक मिनट में हिंदू मुसलमान का मसला राजनीति से समाप्त कर सकते हैं। आप प्यार की भाषा बोलिए। उससे ज्यादा लोग आपके करीब आंएगे। मुसलमान इस देश के ही हैं। आपको प्यार करते हैं। आपसे मोहब्बत करते हैं। यह किसने कह दिया कि हम आरएसएस या भाजपा से नफरत करते हैं। ये किसने कहा कि हम मोदी विरोधी हैं। जहां दिल जीत लेता है आदमी, मुसलमान उनके कदमों में बिछ जाते है। जहां आप नफरत की बात करेंगे तो मुसलमान अपने घरों में दुबक जाते हैं, खामोशी से बैठ जाते है कि ये आदमी हमारे फेवर का नहीं है। तो एक बार मोदी जी मुसलमानों का दिल खोलकर स्वागत करें, उनके लिए अच्छी पॉलिसी बत्ताएं। उनकी तारीची, उनकी तालीम के बारे में काम करें। ये काम मोदी चाहें तो एक मिनट में कर सकते हैं।

सवालः योजनाएं धर्म के आधार पर बने या जरूरत के आधार पर आपकी क्या राय है?
जवाबः धर्म को आप मंदिर, मस्जिद गिरजाघर, गुरुद्वारे में रखें। हम तो हिंदुस्तानी लोग हैं। देश में जब भी कोई योजना दाने तो हिंदुस्तानियों के लिए बनना चाहिए। हिंदुस्तान के विकास को सामने रखकर बनना चाहिए और उसमें सबकी भागीदारी होनी चाहिए। देश के बुद्धिजीवी मुसलमानों ने मोदी या हिंदुओं के खिलाफ कों कोई बात नहीं की। कभी कोई आलोचना नहीं की। मंचों से मी हमेशा मोहब्बत की बात करते हैं। उनमें से कुछ राजनीति करने वाले नेता अपने फायदे के लिए कुछ भी कह देते हैं।

सवालः क्या मुसलमान राजनेता समरसता की बात करते है या दूरियाँ बढ़ाने वाली बातें करते हैं।
जवाबः ऐसे लोग जजबाती बातें करते हैं, गुमराह करने वाली बाते करते हैं। उनकी बातों का मुसलमानों की तरक्की से कोई मकसद नहीं होता वे सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं। वो सिर्फ अपने वोट बैंक और अपने घर को देखते हैं। कई मुस्लिम और मुसलमानों की बातें करने वाले गैर मुसलमान नेता भी आए लेकिन क्या कारण है कि मुसलमानों का जीवन स्तर नीचे गिर गया। आज हर क्षेत्र में मुसलमान कमजोर है। इस कौम की रहनुमाई करने वाले इस कौम को ऊपर उठाने की बात क्यों नहीं करते।

सवाल: पीएम मोदी कहते हैं कि उनकी सरकार ने मुसलमानों की तरक्की के लिए बहुत कुछ किया है आपका क्या कहना है?
जवाबः तीन तलाक का पूरे हिंदुस्तान ने स्वागत किया है। राम मंदिर पर जब फैसला आया तो पूरे मुस्लमानों ने स्वागत किया। किसी ने विरोध नहीं किया। मुसलमानों के लिए जो अच्छे काम हो रहे हैं या उनकी बेहतरी के लिए सरकार काम करना चाहती है, हम उसका हमेशा इस्तकबाल करते है। हम दुआएं करते हैं कि अल्लाह इनको सलामत रखें और हमारे लिए ये इसी तरह से काम करते रहें। लेकिन अमी ऐसी बहुत सी जगह खाली हैं जहां रंग भरना है, वो नरेंद्र मोदी ही भर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि आने वाले कल में जो भी पीएम बनेगा वो हमारे खाली आंखों में मोहब्बत का और तरक्कियों का रंग भरेंगे और हमें भी जीने का सहारा देंगे।

सवालः नरेन्द्र मोदी से आपको उम्मीद जामती है कि आशंका सताती है?
जवाबः जब मुझसे कोई यह सवाल देश के बाहर पूछता है तो में यही कहता हूं उनसे आशंका किस बात की वो हमारे पीएम हमारे वजीरे आजम है। हमारे दुख सुख के साथी है। आशंका तो है ही नहीं। मोदी से कोई गम नहीं है। वो जितना हमारे बारे में बोलते हैं, हमें हौसला मिलता है। हम किसी से खौफजदा नहीं है क्योंकि हम इस मुल्क के नागरिक हैं। हमें भी दुआएं देने वाले लोठा भी इसी मुल्क में हैं चाहे वो हिंदू हो या मुसलमाल। यह लोगों की हालत फहमी है कि ये किसी विशेष धर्म के पीएम हैं। वे पूरे देश के पीएम है। देश का मुसलमान भी उतना ही आदर करता है जितना दूसरे समाज के लोग करते हैं। ये सदी मोहब्बत और प्यार की सदी है। इस सदी को बहुत मोहब्बत के साथ जी रहे हैं, और जीते रहेंगे। यही मेरी तमन्ना है आरजू है कि आने वाले पीढ़ी जब आए तो उसे सिर्फ मोहब्बत के फूल ही वरो ओर खिले नजर आएं इस हिंदुस्तान में। नफरत छोड़ के हम प्यार का इजहार करे, आओ, अब प्यार करें।

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