प्रशांत शुक्ला, भोपाल। मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से डीआरआई के छापे में मिली 168 करोड रुपए की ड्रग्स मामले में मेघनगर में स्थित फैक्ट्री से डायरेक्टरेट रेवेन्यू इंटेलिजेंस के अफसरों ने सेंपल लिए थे, जिसकी जांच फोरेसिंक लैब में कराई गई। डीआरआई के अफसरों की मानें तो उसमें मेफेड्रेन की पुष्टि हुई है। वहीं डीआरआई ने सोमवार को फैक्ट्री के डायरेक्टर सहित गिरफ्तार चार आरोपियों को जिला अदालत में पेश किया। फैक्ट्री के डायरेक्टर विजय राठौर को 4 दिन की रिमांड पर सौंपा गया है। वहीं अदालत के आदेश पर बाप बेटे सहित अन्य तीन आरोपियों को जेल भेज दिया गया।

बता दें, शनिवार को डायरेक्टरेट रेवेन्यू इंटेलिजेंस यानी (डीआरआई) की टीम ने औद्योगिक क्षेत्र की एक फैक्ट्री में दबिश दी थी, जहां लगभग 36 किलो ड्रग पाउडर और 76 किलो लिक्विड के रूप में ड्रग पाउडर जप्त किया गया था। डीआरआई की टीम ने जब यहां दबिश दी तो यहां से कुल 112 किलो पाउडर ड्रग बरामद हुआ है। इस मामले में डायरेक्टर सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिसमें रतन लाल पिता मेवा सिंह निवासी दाहोद गुजरात और उसके बेटे वैभव सिंह निवासी दाहौद और एक अन्य रमेश पिता दिपीया निवासी मेघनगर शामिल है।

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भोपाल से तो नहीं झाबुआ का कोई लिंक
पहले भोपाल के बरगौदा में एनसीबी और गुजरात एटीएस छापे में 1800 करोड़ की एमडी ड्रग्स जब्त कर चुकी है। अब झाबुआ में मेघनगर स्थित फैक्ट्री में 168 करोड़ रूपए की ड्रग्स जब्त हुई। इस फैक्ट्री का डायरेक्टर भी गुजरात का रहने वाला है। डीआरआई भी इस बात की तस्दीक कर रही है कि इस मामले के तार कहां-कहां से जुड़े हैं। रिमांड पर लिए गए फैक्ट्री के डायरेक्टर से पूछताछ कर यह तस्दीक भी की जा रही है कि कहीं भोपाल से झाबुआ का कोई कनेक्शन तो नहीं है।

खंगाला जा रहा ड्रग्स के नेटवर्क
डीआरआई का मुख्यालय इंदौर में है इसलिए आरोपी को रिमांड पर लेकर टीम सोमवार को झाबुआ से इंदौर के लिए रवाना हुई। यहां आरोपी से पूछताछ कर ड्रग्स का नेटवर्क खंगाला जाएगा। पकड़े गए आरोपियों में तीन गुजरात के रहने वाले है। सबसे बड़ी बात तो यह कि डेढ़ साल पूर्व फैक्ट्री के डायरेक्टर को बदला गया था। वर्तमान डायरेक्टर विजय राठौर गुजरात का रहने वाला है। इसलिए इस बात की तस्दीक की जा रही है कि डायरेक्टर को क्यों बदला गया था। वहीं डायरेक्टर से पूछताछ में पता लगाया जा रहा है कि इस फैक्ट्री में कितने समय से एमडी ड्रग्स बनाने का काम चल रहा था।