Indore: उद्दीप सोशल वेलफेयर सोसाइटी ने नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के सहयोग से "आयोता वेलनेस फॉर डिफरेंटली एबल्ड" पहल के तहत दृष्टिहीन बच्चों के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पर रविवार 6 अक्टूबर 2024 को एक विशेष सत्र का आयोजन किया। जिसमें लगभग 60 बच्चों ने भाग लिया।

इसका संचालन प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. महेंद्र जोशी द्वारा किया गया, जिन्होंने बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उनकी समस्याओं और धारणाओं को समझने में मदद की। डॉ. जोशी की इंटरएक्टिव विधि ने बच्चों को अपनी भावनाएं और अनुभव साझा करने का अवसर प्रदान किया।

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जन्म से ही दिव्यांग हैं संस्थापक पूनम श्रोती
उद्दीप सोशल वेलफेयर सोसाइटी की संस्थापक पूनम श्रोती, जो जन्म से ही दिव्यांग हैं, उन्होंने इस प्रकार के सत्रों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के सत्र दिव्यांग बच्चों के मनोबल को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके मानसिक स्वास्थ्य को समझना उनके संपूर्ण विकास और कल्याण के लिए अत्यावश्यक है।

सामान्य बच्चों के लिए भी जरूरी
इस दौरान सोसाइटी के उपाध्यक्ष सुबूर मोहम्मद ने कहा कि यह सत्र न केवल दिव्यांग बच्चों के लिए, बल्कि सामान्य बच्चों के लिए भी अत्यधिक आवश्यक है, ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहे। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए इन सत्रों की आवश्यकता सभी बच्चों को होती है, क्योंकि यह उनके विकास और खुशी के लिए महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में सफलतापूर्वक दिव्यांग बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर किया गया और उनके लिए नियमित मानसिक स्वास्थ्य सत्रों की आवश्यकता पर बल दिया गया।

वर्ष 2016 में भारत की 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शामिल होने पर राष्ट्रपति से मिला सम्मान
पूनम श्रोती को उनकी सेवाओं और उनके साहस के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। पूनम श्रोती को 2016 में भारत की 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शामिल किया गया और उन्हें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया गया। यह मान्यता उन्हें विकलांगता सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान और समाज में बदलाव लाने के उनके निरंतर प्रयासों के लिए मिली। उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2019 में नारी शक्ति सम्मान से नवाजा गया है। यह सम्मान राज्य के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है। जो महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक बदलाव में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। 2022 में महर्षि दधीचि सम्मान से भी नवाजा गया है। यह पुरस्कार भी मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है और विकलांगता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सर्वोच्च मान्यता देने के रूप में माना जाता है।