भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने मध्यप्रदेश के शासकीय कैलेंडर में विक्रम संवत को शामिल कर दिया है। 69 साल पहले भारत सरकार के एक फैसले में विक्रम संवत को हटाने का निर्णय हुआ था। शक व ईसवी संवत को कैलेंडर में शामिल किया था। अब मध्यप्रदेश में नए शासकीय कैलेंडर में विक्रम संवत भी होगा। बता दें कि मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. यादव ने अपने संबोधनों में साफ कर दिया था कि उज्जैन और विक्रमादित्य से संबंध रखने वाली हर बात को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया जाएगा और इसका ताजा रिजल्ट शासकीय कैलेंडर में दिखाई भी दिया है। 

लंबे समय से प्रयास कर रहे मोहन यादव
बता दें कि मोहन यादव जब शिक्षा मंत्री थे, तब से ही विक्रमादित्य की नीतियों और उनके शौर्य को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे। उनके प्रयासों से ही ​शिक्षाविद डॉ. श्यामसुंदर निगम, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, डॉ. नारायण व्यास, डॉ. आरसी ठाकुर, डॉ. रमन सोलंकी द्वारा 18 पुस्तकों का लेखन किया गया। उनके ऊपर नाटक का भी मंचन कराया गया।

इसलिए विक्रम संवत छापने का किया फैसला 
देश का संविधान बनाने वाले संविधान सभा ने भी जब नवंबर 1949 में संविधान तैयार किया था तो उसमें भी ईसवी सन और शक संवत के साथ विक्रम संवत का जिक्र था। 1955-56 में केंद्र सरकार द्वारा गठित की गई कमेटी ने कैलेंडर से विक्रम संवत हटाने को कहा था। इसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने कैलेंडर से विक्रम संवत हटाने का फैसला किया और यह राज्यों में भी लागू हुआ।

चूंकि केंद्र सरकार का अधिकार है कि शक संवत और ईशवी सन को हटाया जाए या नहीं, इसलिए एमपी सरकार ने इस फैसले को स्वीकार करते हुए एमपी के कैलेंडर में विक्रम संवत छापने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि प्राचीन गौरव की पुनर्स्थापना जरूरी है।