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Government Employees Promotion : मध्यप्रदेश के चार लाख अधिकारी-कर्मचारियों के प्रमोशन से जुड़ी अच्छी खबर है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि सरकार ने सकारात्मक पहल करते हुए सभी अड़चने दूर करने का रास्ता तलाश लिया है। जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर प्रमोशन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 

मध्य प्रदेश में अधिकारी-कर्मचारी पिछले से कई साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। प्रमोशन में आरक्षण का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जिस कारण 8 साल से प्रमोशन नहीं हो पाया। बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो गए। सरकार ने अब प्रमोशन का वैकल्पिक रास्ता तलाशा है।  

अलग-अलग स्तर पर की बातचीत
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि सरकार ने अलग-अलग स्तर पर चर्चा के बाद इस समस्या का समाधान निकाला है। डिप्टी सीएम, मंत्री और सभी वर्ग के अधिकारी कर्मचारी भी इस चर्चा में शामिल हुए। कैबिनेट से मंजूरी के बाद प्रमोशन करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। 

मंत्रालय में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात करते कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि। 

अधिकारी कर्मचारियों में खुशी, जताया आभार 
सरकार के इस निर्णय से मध्य प्रदेश के अधिकारी कर्मचारियों में खुशी का महौल है। मंगलवार को विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने मंत्रालय में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर आभार जताया। इस दौरान पुष्पगुच्छ देकर उन्हें सम्मानित भी किया। 

सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है मामला 
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान समाप्त कर दिया है। शिवराज सरकार ने हाईकोर्ट के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सरकार ने 12 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए अपील की थी, तब से मध्य प्रदेश में पदोन्नति प्रक्रिया अटकी हुई है। 

एक लाख कर्मचारी पदोन्नति से वंचित 
मध्य प्रदेश में औसतन हर माह 3000 कर्मचारी रिटायर होते हैं। उनकी पदोन्नति पर रोक लगे करीब 9 साल बीत गए। जब से रोक लगी है, तब से एमपी में 1.50 लाख से अधिक कर्मचारी रिटायर हो गए। इनमें से एक लाख कर्मचारियों को इसी दौरान पदोन्नति मिलनी थी, लेकिन वंचित रह गए। 

शिवराज को गंवानी पड़ी थी सरकार 
शिवराज सरकार ने 2016 में पदोन्नति में आरक्षण संबंधी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस दौरान उनकी माई का लाल वाला उनका बयान खूब वायरल हुआ था। स्थिति यह बनी 2018 के विधानसभा में भाजपा चुनाव हार गई। 2020 में सिंधिया की बगावत के बाद दोबारा सत्ता में मिली तो सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ही पदोन्नति का हल निकालने उप मंत्री परिषद समिति बनाई थी। जिसने अधिवक्ताओं से परामर्श कर पदोन्नति के नए नियम बनाए। लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को यह पसंद नहीं आया।