हरि अग्रहरि, भोपाल। मप्र में प्रचुर संसाधन, अनुकूल नीतियों और मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ खनन उद्योग में निवेश और विकास की असीमित संभावनाएं हैं, जो देश की खनिज संपदा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मप्र भारत का एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य है और कई अन्य खनिजों के उत्पादन में भी अग्रणी है। प्रदेश मैगनीज, कॉपर एवं अयस्क उत्पादन में देश में पहले स्थान पर, जबकि रॉक फॉस्फेट में दूसरे, चूना पत्थर में तीसरे और कोयला उत्पादन में चौथे स्थान पर है। यह खनिज उद्योग और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में इसकी महत्ता को रेखांकित करते हैं।

भोपाल में इंटरनेशनल कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में 17 अक्टूबर को 2 दिवसीय कॉन्क्लेव होने जा रही है। यह कॉन्क्लेव इण्डस्ट्रियलिस्ट और शिक्षाविदों के दृष्टिकोण पर केन्द्रित होगी। इसमें तकनीकी सत्र भी होंगे, जिसमें डिजिटलाइजेशन और खनन प्रौद्योगिकी में प्रगति, विशेष रूप से ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) पर चर्चा होगी। प्रतिभागियों को खनन स्टार्ट-अप्स की ओर से आगामी तकनीकों की जानकारी प्राप्त करने का अवसर भी मिलेगा। 

कॉन्क्लेव के विभिन्न सत्रों में कोयला और ऊर्जा, अन्वेषण में प्रगति, चूना पत्थर और सीमेंट, महत्वपूर्ण खनिजों के अवसर, खनिज संवर्धन और ऊर्जा तथा हाइड्रो-कार्बन शामिल है, जो नई ऊर्जा संभावनाओं को उजागर करेंगे। कॉन्क्लेव के दूसरे दिन 18 अक्टूबर को खनिज आधारित उद्योगों कोयला, ऊर्जा और हाइड्रो-कॉर्बन पर केन्द्रित राउण्ड टेबल बैठक होगी, जो हितधारकों के बीच सहयोग और चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करेगी।

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पन्ना में है हीरे का भण्डार
मप्र के पन्ना जिले में देश का एकमात्र हीरे का भण्डार है। यहां की मझगांन हीरा खदान का संचालन भी शुरू हो गया है। हीरा खदान से प्रतिवर्ष एक लाख कैरेट हीरे का उत्पादन होता है। साथ ही बुंदर हीरा ब्लॉक में 32.2 मिलियन कैरेट हीरे का भण्डार है। प्रदेश में मलाज़खण्ड कॉपर खदान भारत की सबसे बड़ी तांबा खदान है। यहां से प्रतिदिन 5 से 10 हजार टन तांबा निकाला जाता है। भारत के कुल तांबा भण्डार का 70 प्रतिशत तांबा मप्र में है। इसीप्रकार राज्य में स्थित सासन कोयला खदान भी अपने विशाल खनन उपकरणों के लिए प्रसिद्ध है।

चूना पत्थर उत्पादन में देश में 15 प्रतिशत का योगदान
मप्र में चूना पत्थर का 9 प्रतिशत भण्डार होने के बावजूद चूना पत्थर उत्पादन में देश में 15 प्रतिशत का योगदान देता है। यहां के प्रचुर मात्रा में कोयले एवं आवश्यक संसाधनों के कारण राज्य भारत की सीमेंट उत्पादन क्षमता का 7 प्रतिशत हिस्सा रखता है, जिसमें हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदेश में कोलबेड मिथेन (सीबीएम) के बड़े भण्डार हैं। देश में यह संसाधन में छठवें स्थान पर है, लेकिन उत्पादन में यह दूसरे स्थान पर है।

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अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ते हैं व्यवसाय की सुगमता
मप्र के सोहागपुर ईस्ट और वेस्ट सीवीएम ब्लॉक रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से संचालित है। इससे निकाली गई गैस को बाजार तक पहुंचाने के लिए शहडोल से फूलपुर तक एक गैस पाइप-लाइन निर्माण की योजना बनाई गई है, जो हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइप-लाइन नेटवर्क से जुड़ेगी। लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में प्रदेश बेहतरीन स्थिति में है। यहां 5.1 लाख किमी लम्बी सड़कें, 6 इनलेण्ड कंटेनर डिपो (आईसीडी) और 7 हवाई अड्डे हैं, जो राज्य को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ते हैं और व्यवसाय की सुगमता को बढ़ाते हैं।

78 खनिज ब्लॉक सफलतापूर्वक नीलाम किए गए
मप्र का खनिज संसाधन विभाग (एमआरडी) खनिज ब्लॉक नीलामी में देश में अग्रणी रहा है। मप्र की ओर से 78 खनिज ब्लॉक सफलतापूर्वक नीलाम किए गए। प्रदेश को फरवरी 2022-23 में खनिज ब्लॉक नीलामी में देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। प्रदेश को जुलाई-2022 में भारत सरकार की ओर से मुख्य और गौण खनिज नीलामी के लिए भी प्रथम पुरस्कार मिला है, जो राज्य के खनिज संसाधन एवं प्रबंधन में उत्कृष्टता का प्रमाण है।