Narmada Cleanliness Campaign: मध्य प्रदेश की लाइफलाइन कही जाने वाली नर्मदा नदी को निर्मल बनाने वृहद योजना बनाई गई है। इसमें 1618 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया गया है। 873 करोड़ राज्य सरकार एशियन डेवलपमेंट बैंक, वर्ल्ड बैंक और जर्मन बैंक केएफडब्ल्यू से कर्ज लिया है।
दरअसल, नर्मदा नदी का 1077 किमी हिस्सा मध्य प्रदेश में है। जबलपुर, नर्मदापुरम जैसे बड़े शहर इसी नदी के किनारे स्थित हैं। जिनकी गंदगी सीधे आकर नदी में मिलती है। राज्य सरकार ने नर्मदा किनारे बसे 10 शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर गंदा पानी मिलने से रोकेगी। इसके लिए कुछ जगह नए एसटीपी भी बनाए जा रहे हैं।
इन शहरों का होगा कायाकल्प
नर्मदा शुद्धीकरण की इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने अमरकंटक, डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, भेड़ाघाट, नरसिंहपुर, साईंखेड़ा, नर्मदापुरम, बुधनी, भैरुंदा, नेमावर, ओंकारेश्वर, बड़वाह, सनावद, मंडलेश्वर, महेश्वर, धामनोद, धरमपुरी, अंजड़, बड़वानी और सेंधवा में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में एसटीपी बनाकर नालों का गंदा पानी खेतों में छोड़ा जाएगा।
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16 शहरों पर 80 करोड़ की पेनाल्टी
नर्मदा नदी में अतिक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। बस्तियां का गंदा पानी सीधे नदी में मिलता है। इस पर सख्त एक्शन लेते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 16 नगरीय निकायों पर 79.44 करोड़ की पेनाल्टी लगाई थी। सर्वाधिक 11.20 करोड़ की पेनाल्टी जबलपुर नगर निगम पर लगाई गई थी। सर्वाधिक बजट भी जबलपुर के लिए प्रस्तावित है। 1618 करोड़ में से करीब 540 करोड़ जबलपुर में खर्च होंगे।
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सीवेज के पानी से होगी सिंचाई
नगरीय प्रशासन विभाग के मुताबिक, बुधनी, भेड़ाघाट और धरमपुरी में एसटीपी निर्माण का शत प्रतिशत काम पूरा हो गया है। यहां सीवेज के पानी का ट्रीटमेंट भी शुरू हो गया है। अन्य शहरों में एसटीपी निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। सीवेज का ट्रीटमेंट कर फसलों की सिंचाई में किया जा रहा है। शहरों में यह पानी सड़कों की सफाई और पार्कों की सिंचाई में किया जाएगा।