National Space Day: मध्य प्रदेश सहित देश के सभी राज्यों में शुक्रवार 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चांद पर सफल लैंडिंग का पूरा एक साल पूरा होने पर  राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने हर साल 23 अगस्त को 'राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस' के रूप में घोषित किया, ताकि 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के उपलक्ष्य में विक्रम लैंडर की लैंडिंग और प्रज्ञान रोवर की चंद्र सतह पर तैनाती की याद में यह दिवस मनाया जा सके।

यह मिशन भारत के लिए महत्वपूर्ण रहा और - इसमें देश के अनेकों वैज्ञानिकों का खास योगदान रहा। वहीं, प्रदेश के लिए खास बात यह है कि चंद्रयान- 3 मिशन में मप्र के पांच वैज्ञानिकों ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई, जिसमें चंद्रयान-3 के थर्मल डिजाइनर के प्रोजेक्ट मैनेजर नीरज सत्य, जो खरगोन के छोटे से गांव गोगावां के निवासी हैं। इसके साथ ही सतना के ओम प्रकाश पांडे, बालाघाट के महेंद्र ठाकुर, उमरिया के प्रियांशु मिश्रा और रीवा के तरुण सिंह का नाम भी चंद्रयान-3 मिशन में शामिल है। इन तीनों के पास चंद्रयान-3 की कोई न कोई जिम्मेदारी रही, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 'हरिभूमि' से बातचीत में नीरज, ओमप्रकाश पांडे, महेंद्र ठाकुर, प्रियांशु मिश्रा और तरुण सिंह ने अपनी चंद्रयान-5 की जर्नी साझा की।

नीरज का बेटा स्पेशल चाइल्ड, जो डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त, वही उनकी ताकत
नीरज सत्य ने बताया कि मैं पिछले तीन चंद्रयान-3 का हिस्सा रहा हूं और अब चंद्रयान-4 पर भी में काम कर रहा हूं, जिसका मुख्य कार्य चंद्रमा से सैंपल कलेक्ट करके वापस धरती पर लाना है। इसका नाम 'सैपल रिटर्न मिशन' रखा गया है। उन्होंने कहा कि मैंने साल 2004 में इसरो ज्वॉइन किया और तब से अब तक बड़े-बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा रहा हूं, जिसमें से सबसे महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान-3 रहा। नीरज ने कहा कि मेरी प्राथमिक शिक्षा गुड़गांव और सनावद के नवोदय विद्यालय से हुई। उस दौर में जब कई घंटों तक बिजली गुल रहा करती थी। सड़क बेहाल थीं और आवागमन के चंद ही साधन हुआ करते थे। नवोदय में 12वीं तक पढ़ने के बाद नीरज ने भोपाल में आगे की पढ़ाई की।

आरकेडीएफ भोपाल से 2000 बैच पासआउट नीरज ने आईआईटी दिल्ली से किया। उन्होंने कहा कि इसरो में जाने का मेरा सपना बचपन से ही था और फिर मेरी मेहनत के साथ किस्मत ने भी साथ दिया और मुझे मेरी मंजिल मिल गई। नीरज ने कहा कि मुझे बचपन से ही स्पेस चंद्रमा, सूरज और ब्रहमांड़ को जानने की जिज्ञासा रही है। उन्होंने बताया कि मेरे परिवार में मेरी मां, पत्नी और एक बेटा है जो स्पेशल चाइल्ड है और डाउन सिंड्रोम से वग्रस्त है। लेकिन फिर भी वह मेरी ताकत बनता है और मुझे देश के लिए कुछ कर गुजरने की ललक देता है।

सतना के ओमप्रकाश ने चंद्रयान-3 के परिक्रमा पथ पर नजर बनाए रखी
सतना जिले के एक छोटे से गांव करसरा में रहने वाले युवा वैज्ञानिक ओम प्रकाश पांडेय ने चंद्रयान-3 के परिक्रमा पथ पर नजर बनाए रखी। ओमप्रकाश के पिता रिटायरमेंट के बाद से करसरा गांव में रहते हैं। ओमप्रकाश ने छह साल पहले इसरो ज्वॉइन किया था। उन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी साहूजी महाराज कानपुर विवि से बीटेक किया है। उन्होंने इंदौर में मास्टर्स की पढ़ाई करने के बाद इसरो को ज्वॉइन किया था।

व्हीकल टीम के प्रोजेक्ट हेड रहे ठाकरे व मेंबर रहे प्रियांशु मिश्रा
बालाघाट जिले के बिरसा तहसील में छोटे-से गांव कैंडाटोला के रहने वाले महेंद्र ठाकरे चंद्रयान-3 मिशन में व्हीकल टीम के प्रोजेक्ट हेड रहे। इसरो में 16 साल से काम करने वाले महेंद्र की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में ही हुई थी। इसके बाद आईआईटी दिल्ली से ही इसरो के लिए उनका कैंपस प्लेसमेंट हुआ था। उमरिया जिले के चंदिया कस्बे में रहने वाले प्रियांशु मिश्रा चंद्रयान-3 की व्हीकल टीम का हिस्सा रहे। प्रियांशु इससे पहले चंद्रयान-2 की टीम में रहे हैं। इसरो में वैज्ञानिक के रूप में प्रियांशु का चयन 2009 में हुआ था।

पेलोड क्वालिटी इंश्योरेंस की जिम्मेदारी संभाली तरुण ने
तरुण ने अपनी शुरूआती पढ़ाई रीवा के सैनिक स्कूल से ही की है। इसके बाद एसजीएसआइटीएस इंदौर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। तरुण चंद्रयान-3 की टीम में सीनियर साइंटिस्ट के रूप में सेवा दे रहे हैं। चार साल पहले तरुण ने इसरो के साथ अपनी पारी की शुरुआत की थी। तरुण के पास चंद्रयान-उ से आ रही तस्वीरों की निगरानी रखने की जिम्मेदारी है। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन में पेलोड क्वालिटी इंश्योरेंस की जिम्मेदारी संभाली, यह सैटेलाइट का कैमरा है जो चंद्रमा की तस्वीरें लेकर डेटा कोड में भेजता है।