Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ हो गया है। मध्यप्रदेश में कई विश्व विख्यात देवी मां के मंदिर हैं। हरिभूमि आपको 9 देवी मंदिरों के दर्शन करवा रहा है। हम रोज आपको एक प्रसिद्ध मंदिर की खासियत, महिमा, महत्व और मान्यता से रूबरू करा रहे हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन शुक्रवार (4 अक्टूबर) को जानें भोपाल के शाहजहांनी पार्क (छोटे तालाब) स्थित काली माता की महिमा...।
शाहजहांनी पार्क (छोटे तालाब) के किनारे स्थित काली मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। पहले तालाब किनारे माता की एक मढ़िया हुआ करती थी। जहां अब दिव्य मंदिर बन गया है। नवरात्रि के नौ दिन यहां अलसुबह से देर रात तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
56 साल पहले बनवाई थी मढ़िया
काली माता मंदिर के पीठाधीश्वर रजनीश सिंह बगवार ने बताया कि सैकड़ों साल पहले से यहां पूजा करने की परंपरा है, लेकिन 56 साल पहले हमारे पूर्वजों को मातारानी ने सपने में आकर मंदिर बनवाने की आदेश दिया था। जिसके बाद 1968 में मढ़िया बनाकर विधि-विधान से देवी की स्थापना की गई। मंदिर में मातारानी पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं।
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काली मंदिर में सुबह 5 बजे से दर्शन
रजनीश सिंह बगवार ने बताया कि काली मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना कर जवारे बोए जाते हैं। साथ ही आखंड ज्योति जलाई जाती है। सुबह 5 से एक बजे और शाम 4 से रात 11 बजे मंदिर आम श्रद्धालुओं के खुला रहता है। सप्तमी से नवमीं तक भक्तों की भीड़ ज्यादा होती है, जिस कारण मंदिर के पट पूरे दिन खुले रहते हैं।
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नवरात्रि में होते हैं अनुष्ठान
मंदिर में देवी दर्शन के लिए आए राजकुमार पचौरी ने बताया, नवरात्रि में यहां विभिन्न अनुष्ठान होते हैं। भक्त मन्नत के लिए मंदिर के पीछे कलावा बांधते हैं और मन्नत पूरी होने पर उसे खोलने आते हैं। इस दौरान अनुष्ठान भी कराते हैं।
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सीहोर, विदिशा और रायसेन से भी आते हैं भक्त
भोपाल के शाहजहांनी पार्क स्थित काली मंदिर में नवरात्रि में भक्तों की खासी भीड़ लगती है। भोपाल के अलावा यहां सीहोर, विदिशा, रायसेन और होशंगाबाद तक से श्रद्धालु देवी दर्शन के लिए आते हैं। श्रद्धालु नौकरी और संतान की प्राप्ति के लिए मन्नत मांगते हैं और पूरा होने पर अनुष्ठान करते हैं।