OBC Reservation: 27% आरक्षण के लिए भोपाल में जुटे ओबीसी संगठन, एडवोकेट जनरल के खिलाफ खोला मोर्चा

OBC organizations Meeting Bhopal
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ओबीसी आरक्षण: भोपाल में जुटे पिछड़ा वर्ग संगठनों के पदाधिकारी, एडवोकेट जनरल के खिलाफ खोला मोर्चा।
भोपाल में रविवार (9 फरवरी) को अपाक्स की बैठक हुई। इसमें 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर 5 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया गया।

भोपाल (सचिन सिंह बैस)। मप्र पिछड़ा वर्ग संयुक्त संघर्ष मोर्चा (अपाक्स) के महत्वपूर्ण बैठक रविवार को भोपाल में हुई है। मोर्चा संयोजक भुवनेश पटेल, संरक्षक विभा पटेल सहित प्रदेशभर से आए अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में एडवोकेट जनरल को हटाए जाने और सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण की प्रमुखता से पैरवी किए जाने की मांग की गई।

बैठक में सीनियर अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर भी शामिल हुए। उन्होंने पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के मामले की कानूनी स्थिति से अवगत कराया। साथ ही कहा, सरकार के विधि विशेषज्ञ ओबीसी का पक्ष मजबूती से नहीं रख पा रहे। इस कारण 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उलझता जा रहा है। अनावश्यक रूप से यह केस सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कराया गया है।

सरकार को सौंपेंगे 5 सूत्रीय ज्ञापन
बैठक में बहादुर सिंह लोधी, सीएस यादव, तुलसीराम चौहान, विजय कुमार, कमलेंद्र सिंह, जीपी माली, रामगोपाल राजपूत, उदयवीर सिंह, वीरेंद्र खोंगल समेत विभिन्न संगठनों के पांच दर्जन पदाधिकारी और अपाक्स के सदस्य मौजूद रहे। सभी ने सर्व सम्मति से 5 सूत्रीय मांगों का प्रस्ताव पारित किया। यह प्रस्ताव शासन को सौंपा जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई रोक
बैठक में अपाक्स की संरक्षक विभा पटेल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने पर कोई रोक नहीं लगाई है। महाधिवक्ता के अभिमत से 87/13 का फार्मूला लागू कराया गया है। इससे ओबीसी के लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकार में है। पात्रता के बावजूद उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पा रहीं। आरक्षण विवाद का हवाला देकर उनकी नियुक्ति होल्ड कर दी गई है।

अनुभवी अधिवक्ता को रखें पक्ष
अपाक्स के संयोजक भुवनेश पटेल ने सरकार से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट में 14 फरवरी को प्रस्तावित सुनवाई में पिछड़ा वर्ग का पक्ष रखने योग्य और अनुभवी अधिवक्ता नियुक्त किए जाएं। उन्होंने मंत्रियों के निज सहायकों और प्रथम-द्वित्तीय श्रेणी अफसर की नियुक्ति में ओबीसी के प्राथमिकता दिए जाने की मांग की। साथ ही कहा, शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में भी सभी वर्गों के वकीलों को समान रूप से प्रतिनिधित्व मिले।

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