पांढुर्णा में गोटमार मेला: जाम नदी की पुलिया पर 2 गांव के बीच जमकर चले पत्थर, 400 घायल, कई की हालत गंभीर

Pandhurna Gotmar fair
X
Pandhurna Gotmar fair
Pandhurna Gotmar Fair: मध्यप्रदेश के पांढुर्णा में गोटमार मेले का आयोजन हो रहा है। मंगलवार को मेले में पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों के बीच पत्थरबाजी हुई। पत्थर लगने से अब तक 32 लोग घायल हो चुके हैं।

Pandhurna Gotmar Fair: मध्यप्रदेश के पांढुर्णा में गोटमार मेला 2 सितंबर से शुरू हुआ। मंगलवार को मेले में पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों के बीच जाम नदी की पुलिया पर सुबह 10 बजे से पत्थरबाजी शुरू हुई। शाम तक चले खेल में पत्थर लगने से 400 लोग घायल हुए हैं। तीन गंभीर घायलों को नागपुर रेफर किया है। पत्थर लगने से 3 लोगों के हाथ-पैर की हड्‌डी भी टूट गई। एक शख्स की आंख में भी चोट लग गई। सभी को अस्पताल भेजा गया। मेले में 6 जिलों का पुलिस बल तैनात रहा।

जानें क्या है अनोखी परंपरा
मान्यता है कि हजारों वर्ष पहले जाम नदी के किनारे पिंडारी समाज का प्राचीन किला था। किले में समाज और शक्तिशाली सेना निवास करती थी। सेनापति दलपत शाह था, लेकिन महाराष्ट्र के भोसले राजा की सेना ने पिंडारी समाज के किले पर हमला बोल दिया। अस्त्र-शस्त्र कम होने से पिंडारी समाज की सेना ने पत्थरों से हमला कर दिया। भोसले राजा परास्त हो गया। तब से यहां पत्थर मारने की परंपरा चली आ रही है।

पलाश रूपी झंडे का महत्व
गोटमार मेले में पलाश रूपी झंडा काफी अहम है। इसे जाम नदी के बीचोंबीच स्थापित किया जाता है। इसे जंगल से लाया जाता है। यह परंपरा सावरगांव के सुरेश कावले 4 पीढ़ियों से निभा रहा है। जंगल में पलाश रूपी झंडा एक साल पहले ही चिन्हित कर दिया जाता है और पोला त्योहार से एक दिन पहले वहां से लाकर अलसुबह जाम नदी में स्थापित किया जाता है।

कई बार मेले को रोकने की हो चुकी है कोशिश
स्थानीय प्रशासन कई बार मेले को रोकने की कोशिश कर चुका है। हालांकि, हर बार इसमें नाकामी हाथ लगी। लोग इसे खेलने से बाज नहीं आते। साल 2009 में इस खेल पर मानवधिकार आयोग ने संज्ञान लिया। जिला प्रशासन को रोकने के निर्देश दिए। तत्कालीन डीएम निकुंज श्रीवास्तव और एसपी मनमीत सिंह नारंगे मौके पर दल बल के साथ पहुंचे, लेकिन मेला नहीं रुकवा सके। लोगों ने तोड़-फोड़ और प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद से मेला लगातार जारी है।

गेंद से खेलने का आइडिया भी नहीं रहा कारगर
समय समय पर इस खेल को खेलने के तरीके में बदलाव लाने की भी कोशिश भी नाकाम साबित रही। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को पत्थरों को बदले एक दूसरे को गेंद फेंक कर मारने का आईडिया दिया। लेकिन यह आइडिया भी कारगर साबित नहीं हुआ। शुरुआत में तो लोगों ने गेंद से ही खेल शुरू किया। लेकिन ज्यों ज्यों दिन ढला, शाम हुई, मेले में लोगों ने पत्थर मारने शुरू कर दिए।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story