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Pandit Pradeep Mishra Katha: पंडित प्रदीप मिश्रा छत्तीसगढ़ के दुर्ग में शिव महापुराण कथा सुना रहे हैं। शनिवार को पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सनातनियों को चार बच्चे पैदा करना चाहिए। जब तक कानून नहीं आता तब तक ज्यादा बच्चे पैदा करें। 

Pandit Pradeep Mishra Katha: पंडित प्रदीप मिश्रा छत्तीसगढ़ के दुर्ग के अमलेश्वर में शिव महापुराण कथा सुना रहे हैं। शनिवार को कथा से पहले मीडिया से बातचीत में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सनातनियों को चार बच्चे पैदा करना चाहिए। दो अपने लिए और दो राष्ट्र के लिए। जब तक कानून नहीं आता तब तक ज्यादा बच्चे पैदा करें। धर्म में राजनीति और राजनीति धर्म में चलता आया है। सत्ता के सिंहासन में किसको देखने के सवाल पर कहा कि युवाओं को रोजगार और धर्म को आगे बढ़ाने वालों को मिलना चाहिए। 

नक्सलियों को संदेश: राष्ट्र हित में काम करें
मिश्रा ने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र वैसे भी है। सारे देवताओं का निवास है। सभी देवताओं को पूजा जाता है। नक्सलवाद का जिक्र करते हुए कहा कि इससे मुक्ति के लिए सरकार लगी है। पत्रकारों की कलम में वो दम है, जो बिगड़े हुए को सुधार सकता है। मिश्रा ने कहा कि नक्सलियों को ये संदेश देता हूं कि वे राष्ट्र हित में काम करें। 

लड़कियों को लव मैरिज नहीं करने की सलाह दी
प्रदीप मिश्रा ने शुक्रवार को कथा के दौरान लड़कियों को लव मैरिज नहीं करने की सलाह दी। कथावाचक मिश्रा ने कहा कि आप स्कूल जाएंगी, कॉलेज जाएंगी, ट्यूशन जाएंगी। वहां आपको 100 तरह के लड़के मिलेंगे। मगर इन 100 लड़कों के साथ आप 100 साल की जिंदगी नहीं जी सकते। आपके पापा ढूंढ़कर लाएंगे, उसके साथ जिंदगी 100 साल तक सही जी सकते हैं। 

अपने धर्म का पालन करें 
पंडित मिश्रा ने धर्मांतरण को लेकर कहा कि जो जहां है, अपने धर्म में रहो, अपने धर्म का पालन करो। छोटे-छोटे लोग मिल जाते हैं, जो अपने धर्म में ले जाते हैं और अपने धर्म में मिला लेते है। इसमें अपनी ही गलती है। लोग कहते है कि हम घर वापसी करा रहे हैं। हम कहते हैं, कि गए ही क्यों थे। प्रयास ये करें कि इनको अपने धर्म में ही रखें। 

26 मई से चल रही है कथा 
अमलेश्वर में 26 मई से पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा चल रही है। 2 जून तक चलने वाले इस आयोजन में हर दिन 1 लाख के आस-पास लोग पहुंच रहे हैं। कथा में झारखंड, बिहार, बंगाल, पंजाब, मध्यप्रदेश से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। गर्मी लू और तपिश झेलकर भी ये सभी लोग पंडाल में ही रात गुजार रहे हैं।  

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