PM Kusum Yojana: सोलर प्लांट लगाकर मोटी कमाई करने का अच्छा मौका है। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने इसके लिए कुसुम सी स्कीम शुरू की है। इस योजना के तहत सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली लोगों से खरीदी जाएगी। प्लांट लगाने 30 फीसदी तक की सब्सिडी दी जा रही है। 

मध्य प्रदेश में अभी 7 हजार मेगावाट बिजली नवकरणीय ऊर्जा के तौर उत्पादित की जा रही है। जो राज्य की कुल ऊर्जा क्षमता का 21 प्रतिशत है। 2030 तक इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। इसके लिए प्राइवेट कंपनियों के साथ आम लोगों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कुसुम योजना क्या है? 

  • प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) के तहत किसानों, ग्राम पंचायत और सहकारी समितियों को सोलर प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी 60 प्रतिशत तक मिलती है। किसानों को सिर्फ लागत का 10 फीसदी हिस्सा देना पड़ता है। 30% राशि लोन के रूप में उपलब्ध कराई जाती है। 
  • कुसुम योजना में यह भी प्रावधान किया गया है कि किसान जरूर से अधिक सौर ऊर्जा बेच भी सकते हैं। इससे उसे हर माह अच्छी खासी आमदानी होगी। 

PM कुसुम योजना के तीन पार्ट

  • कुसुम सी योजना का भाग A
    पीएम कुसुम योजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इसके भाग A में 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा प्लांट स्थापित होंगे। यह बंजर भूमि पर होंगे और ग्रिड से जोड़े जाएंगे। ग्रिड के लिए भी किसान, सहकारी समितियां, ग्राम पंचायत, जल उपयोगकर्ता संघ (WUA) और किसान उत्पादक संगठन (FPO) को सब्सिडी दी जाएगी। 
  • कुसुम सी योजना का भाग B
    इस योजना के तहत, किसानों को सौर कृषि पंप स्थापित करने 17.50 लाख का फण्ड मिलेगा। वह 7.5 एचपी तक के डीज़ल कृषि पंप भी सोलर पंप में तब्दील कर सकते हैं। इससे अधिक क्षमता पर सब्सिडी नहीं मिलेगी।  
  • कुसुम सी योजना का भाग C
    इसमें 10 लाख सोलर प्लांट की स्थापना के लिए सब्सिडी दी जाएगी। विद्युत वितरण कंपनियां सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली तय रेट पर खरीदेंगी। सौर ऊर्जा का उपयोग सिंचाई और अन्य ज़रूरतों में भी किया जा सकता है। 

पीएम कुसुम योजना के लिए जरूरी शर्तें
पीएम कुसुम योजना के लिए आवेदन कोई भी व्यक्ति (महिला और पुरुष) आवेदन कर सकता है। बशर्ते उसकी उम्र 18 वर्ष से कम न हो।  0.5 मेगावाट से 2 मेगावाट क्षमता तक के सोलर प्लांट कृषि सिंचाई के लिए हैं। जमीन के अनुपात में क्षमता कम ज्यादा कर सकते हैं। कोई संस्था प्लांट लगाती है तो उसकी नेटवर्थ प्रति मेगावाट 1 करोड़ होनी चाहिए, लेकिन निजी निवेश के लिए नेटवर्थ की जरूरत नहीं है।