Usha uthhup: भोपाल में लिटरेचर फेस्टिवल सोसायटी फॉर कल्चर एंड एनवायरमेंट के 6 वें सीजन का आगाज शुक्रवार को भारत भवन में हुआ। इस कार्यक्रम में देश के कई कलाकार शामिल हुए। पाप सिंगर ऊषा उत्थुप भी शामिल रहीं। कार्यक्रम के बाद उषा उत्थुप मीडिया से बात के दौरान अपने बचपन के दिनों को याद किया और अपनी आपबीती सुनाईं। ऊषा उत्थुप ने कहा कि मेरा मकसद सबके चेहरे पर मुस्कुराहट लाना है। संगीत मेरे खून में है। मै संगीत नहीं सीख पाई क्योंकि हमें भारी आवाज का बहाना बनाकर संगीत क्लास से बाहर कर दिया गया था।
करियर को लेकर कही ये बात
ऊषा उत्थुप ने अपने करियर को लेकर कहा कि संगीत की दुनिया में आने का कोई प्लान नहीं था। मेरे घर में सब संगीत से ताल्लुक रखते हैं और मैं भी हिस्सा बन गई। उस जमाने में तो सिर्फ रेडियो हुआ करता है। किसी को कॉपी नहीं कर सकते थे। लोगों के मन में हमेशा एक सवाल बना रहता है कि ये तो इंग्लिश गाती है, हमारे लिए क्या गाएगी।
कलकत्ता से इंग्लिश सॉन्ग की हुई शुरुआत
ऊषा उत्थुप बताती हैं कि 1969 में सिर्फ एंग्लो इंडियन ही नाइट क्लब में गाना गाया करते थे। पहले का माहौल भी बिल्कुल अलग हुआ करता था। नाइट क्लब में सिर्फ लड़के ही जाया करते थे। एक बार मैं कांजीवरम साड़ी में गाने लगी तो औरतों का काफी सपोर्ट मिला और वहीं से महिला शक्ति की शुरुआत हुई। जिस समय हमने नाइट क्लब में गाने की शुरुआत की तो किसी ने सोचा ना रहा होगा कि महिला भी नाइट क्लब में गा सकती है।
इन फिल्मों के गानों में रहीं शामिल
ऊषा उत्थुप 'शालीमार', 'शान, वारदात','अरमान', 'डिस्को डांसर', 'प्यारा दुश्मन', 'अरमान', 'दौड़', 'भूत', 'जॉगर्स पार्क' और 'हैट्रिक' जैसी फिल्मों में गाने गा चुकी हैं, जो बहुत पसंद किए गए। 'हरे रामा हरे कृष्णा' फिल्म में मैंने आशा भोसले के साथ 'दम मारो दम' गाना गाकर काफी चर्चा में आई थी। इस गाने के बाद कई फिल्मों में गाना गाने का मौका मिला।
18 भाषाओं में गाई हैं गीत
सिंगर ऊषा उत्थुप 18 भारतीय भाषाओं में गाने गाई हैं और आज भी गा रही हैं। उन्होंने बताया कि हमारे ऊपर परिवार का कोई दवाब सिंगिंग को लेकर नहीं था। मेरी खुद की पसंद सिंगिंग रही। हमने अपने पूरे जीवनकाल में संगीत को लेकर जल्दबाजी नहीं सीखा।