हरि अग्रहरि, भोपाल: लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) सड़क बनाने के लिए ह्वाइट टापिंग जैसी नवाचार करने जा रही है। इस नवाचार पर प्रदेश भर में करीब 350 करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी है। जिन सड़कों पर ह्वाइट टापिंग करना है, उसकी सूची जारी कर दी गई है। ताज्जुब तो यह है कि ऐसी सड़कों पर ह्वाइट टापिंग की जाएगी, जो पहले से चकाचक है। इन सड़कों के कई वर्षो तक खराब होने की आशंका नहीं है। सवाल उठ रहा है कि आखिर पीडब्ल्यूडी ह्वाइट टापिंग के लिए उन सड़कों का चयन क्यों नहीं करती, जो खराब है और उन पर चलना दूभर है।
ह्वाइट टापिंग के लिए सड़क बनाने वाली एजेंसी मौजूदा सड़क पर गिट्टी व सीमेंट की लेयर बिछाएगी। पीडब्ल्यूडी का तर्क है कि इससे सड़क को बार-बार बनाने की जरूरत नहीं होगी। कम से कम इसकी मियाद 15 से 20 वर्ष की होगी। आम लोग पूछ रहे हैं कि जो सड़कें चकाचक है, उनमें एक भी गड्ढे नहीं हैं, कई तो नई करोड़ों रुपए की लागत से बनी है। ऐसी सड़कों के मेंटनेंस की जरूरत फिलहाल नहीं हैं, तो इन सड़कों पर ह्वाइट टापिंग क्यों होगी? इसके बजाय उन सड़कों पर ह्वाइट टापिंग कराई जाए, जो अपेक्षाकृत कुछ खराब है, या जो किसी कारण से बार-बार क्षतिग्रस्त हो रही है। इससे आम लोगों को सुविधा होगी और पैसे का भी सदुपयोग होगा।
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इस सड़क पर ह्वाइट टापिंग की जरूरत क्यों?
भोपाल शहर की ऐसी 14 सड़कों का चयन किया गया है। इनमें से एक सड़क 4.90 किमी की पत्रकार भवन से बिरला मंदिर, विधानसभा, मंत्रालय, सतपुड़ा व विन्ध्याचल के सामने से होते हुए भोपाल हाट बाजार तथा ठंडी सड़क, व्यापम चौराहा फोरलेन मार्ग तक आती है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने 19 करोड़ रुपए से अधिक का टेंडर जारी किया है। यह महज एक नमूना है, इसतरह की और भी सड़क है। ऐसी सभी 14 सड़कों के लिए 119 करोड़ रुपए खर्चों होंगे। ऐसा नहीं है कि अकेले भोपाल की चुनिंदा सड़कों को ह्वाइट टापिंग टापिंग कराया जाएगा, बल्कि प्रदेश की अन्य सड़कों की भी यहीं स्थिति है। पीडब्ल्यूडी ने खराब सड़कों की अपेक्षा बेहतर सड़कों पर ही नया निर्माण कराने के नाम पर शासन को करोड़ों का चूना लगाने की तैयारी कर ली है।
इन सड़कों का आखिर क्या होगा
प्रदेश में बारिश के दौरान काफी सड़कों की स्थिति खराब हो गई है। इन सड़कों पर जगह-जगह बड़े- बड़े गड्ढे हो गए हैं। इनमें से हालांकि ज्यादातर सड़कों के लिए पीडब्ल्यूडी ने मेंटनेंस के लिए करीब 400 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। कुछ इंजीनियरों ने तो मेंटनेंस के बगैर कागजों में मेंटनेंस कर दिया, अब उन्हें नोटिस देकर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इनका मेंटेनेंस कराने पर 600-800 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। पीडब्ल्यूडी ने प्रदेश में ऐसी 55 सड़कों की ह्वाइट टापिंग यानि सीमेंट कांक्रीट से निर्मित कराने का प्लान बनाया है। इसके लिए पिछले बुधवार को टेंडर जारी कर दिया गया।
ह्वाइट टापिंग जर्जर सड़कों का होना चाहिए
विशेषज्ञ कहते हैं कि ह्वाइट टापिंग जर्जर व खराब सड़क होने से सरकार को साल दर साल अतिरिक्त राशि खर्च नहीं करना पड़ेगा। सड़क भी अच्छी हो जाएगी। अभी बहुतायद सड़कें ऐसी हैं, जो काफी खस्ताहाल है। अकेले भोपाल शहरों में ही ऐसी कई सड़के हैं, पर प्लान अच्छी सड़कों का बना है। तर्क यह भी है कि ह्वाइट टापिंग के लिए सड़क का बेस होना जरूरी है। पीडब्ल्यूडी के ही एक सीनियर इंजीनियर नाम न देने की शर्त पर कहते हैं कि जर्जर सड़क का बेस भी तो अच्छा है, उस पर करोड़ों रुपए खर्च करके सड़क बनाई गई है। पर यह प्लान समझ से परे हो गया है कि जो सड़क चकाचक है, उस पर ह्वाइट टापिंग करके अच्छी बनाया जाए।