भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। आचार संहिता के बाद से राज्य सरकार और जनप्रतिनिधियों के कोष से मिलने वाली सहायता राशि लोगों को मिलना बंद हो गई है। जिसका असर बीमारियों से ग्रसित मरीजों पर पड़ता दिख रहा है। जिसको लेकर मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और रहली विधायक गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान और उसकी मंजूरी को लेकर भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है। गोपाल ने पत्र में मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान स्वीकृति को मानवीय आधार पर प्रतिबंध से मुक्त करने या वास्तविक स्थिति को स्पष्ट करने की बात लिखी है।
गोपाल ने पत्र में क्या लिखा, जानें
गोपाल भार्गव ने पत्र लिखकर चुनाव आयोग से कहा है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र रहली जिला सागर समेत संपूर्ण मध्यप्रदेश में आम चुनाव-2024 की आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के कारण मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान स्वीकृति की प्रकिया पिछले तीन दिनों से बंद है। इसके कारण बहुत से जरूरतमंद लोग इलाज के लिए आर्थिक मदद के लिए भटक रहे हैं। इस संबंध में मेरा आपसे अनुरोध है कि चूंकि बीमारियां चुनाव और आचार संहिता देखकर नहीं आती हैं। इसलिए यदि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की स्वीकृति को आदर्श आचार संहिता में प्रतिबंधित किया है तो मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए इसे प्रतिबंध से मुक्त करने का कष्ट करें।
अस्पताल के खाते में ट्रांसफर होती है राशि
गोपाल ने आगे लिखा है कि यदि प्रतिबंधित नहीं किया है तो मध्यप्रदेश राज्य शासन को इस संबंध में तत्काल स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करने का कष्ट करें। इस संबंध में मैं यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से सिर्फ राशि स्वीकृत की जाती है। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए ही सहायता राशि स्वीकृत की जाती है। स्वीकृत राशि अस्पताल द्वारा मरीज को दिए गए इलाज के अनुमानित प्राक्लन के आधार पर अस्पताल के खाते में ट्रांसफर की जाती हैं न कि बीमार व्यक्ति के खाते में।