भोपाल। इंदौर की होली मध्यप्रदेश ही नहीं देशभर में प्रसिद्ध है। लाखों लोग सड़कों पर धूमधाम से रंगों के इस त्योहार को मनाते हैं। इस बार इंदौर में 30 मार्च को रंगपंचमी मनाई जाएगी। रंगपंचमी पर शहर के मध्य हिस्से से परंपरागत गेर भी निकलेगी। इसके निकलने की नंबरिंग में इस बार बदलाव किया है। पहली बार हिंद रक्षक संगठन की राधाकृष्ण फाग यात्रा सबसे पहले निकाली जाएगी। प्रशासन ने गेर का क्रम भी बदला है। रणजीत अष्टमी पर निकली प्रभातफेरी के दौरान हुई हत्या से सबक लेते हुए प्रशासन ने गेर में हथियार लेकर चलने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई करने का फैसला लिया है। पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता और कलेक्टर आशीषसिंह के साथ बुधवार को आयोजकों की बैठक में कई फैसले लिए गए।
सुबह 10 बजे निकलनी लगेगी यात्रा
बता दें कि गेर की तैयारियों को लेकर बुधवार को हुई बैठक में कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि गेर में आचार संहिता का पालन करना होगा। किसी भी राजनीतिक दलों के चिन्ह, बैनर, पोस्टर आदि का प्रर्दशन नहीं किया जा सकेगा। गेर शहर में परम्परागत रूप से निर्धारित मार्गों से निकाली जाएगी। बैठक में सभी आयोजकों की सहमति से गेर के क्रम में संशोधन किया है। सबसे पहले राधा-कृष्ण फाग यात्रा निकलेगी। यह यात्रा सुबह ठीक 10 बजे निकलना प्रारंभ हो जाएगी। इसके बाद टोरी कार्नर, मारल क्लब, रसिया कार्नर, संगम कार्नर और जूनी इंदौर क्षेत्र से माधव फाग यात्रा निकलेगी।
वाहनों से लोगों के ऊपर नहीं डाल सकेंगे रंग
वाहनों पर भी सवार लोग कई बार गुब्बारे, पॉलीथिन से लोगों के ऊर रंग डालते हैं। इस बार यह नहीं होगा। कलेक्टर ने कहा कि गेर में समय एवं अनुशासन का विशेष रूप से पालन करना होगा। किसी भी तरह की हुड़दंग नहीं होनी चाहिए। शालिनता से त्योहार को मनाएं। कलेक्टर ने यह भी कहा कि गेर में की हुड़दंग करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। पुलिस आयुक्त राकेश गुप्ता ने कहा कि गेर के दौरान सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध रहेंगे। सीसीटीवी और वीडियो कैमरों के माध्यम से सतत निगरानी रखी जाएगी।
जानें क्यों देशभर में प्रसिद्ध है इंदौर की गेर परंपरा
बता दें कि इंदौर में गेर की परंपरा तीन सौ साल पुरानी है। कहा जाता है कि होलकर राजघराने के लोग रंगपंचमी के दिन बैलगाडि़यों से फूल और गुलाल आम नागरिकों पर डालते थे। इससे सामाजिक सौहाद्र्र बढ़ा और धीरे धीरे गेर ने पूरी तरह से सामाजिक रंग ले लिया। सौ साल पहले इसे सामाजिक रूप से सार्वजनिक जगहों पर मनाने की शुरुआत हुई। इस कड़ी में कई आयोजन जुड़ते गए।
मल्हारगंज क्षेत्र में कुछ लोग खड़े हनुमान के मंदिर में फगुआ गाते थे और एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते थे। इसी क्षेत्र में रहने वाले रंगू पहलवान एक बड़े से लोटे में केसरिया रंग घोलकर आने-जाने वालों पर रंग डालते थे। इन सब आयोजनों ने गेर को समय के साथ भव्य रूप दिया। अब एमपी की नहीं देशभर में इंदौर की गेर रंगपंचमी प्रसिद्ध है।