MP का 9वां टाइगर रिजर्व बना रातापानी: 75 बाघों के लिए बनेगा 10 साल का प्लान, भीमबेटका किले का होगा जीर्णोद्धार

MP Tiger Reserve: मध्य प्रदेश को एक और टाइगर रिजर्व मिल गया है। सरकार ने सोमवार (2 दिसंबर) को रातापानी को 9वां टाइगर रिजर्व बनाने की अधिसूचना जारी कर दी है। 16 साल के संघर्ष के बाद रातापानी टाइगर रिजर्व बना है। केंद्र सरकार ने इससे पहले रविवार (1 दिसंबर) को शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को प्रदेश का 8वां टाइगर रिजर्व घोषित किया था। दो दिन में मध्यप्रदेश को दो नए टाइगर रिजर्व की सौगात मिली है। प्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या 7 से बढ़कर अब 9 हो गई हैं।
50 नए पद होंगे स्वीकृत
रातापानी टाइगर रिजर्व के 75 से अधिक बाघों के संरक्षण के लिए 10 साल की बाघ संरक्षण योजना (टीसीपी) बनेगी। क्षेत्र संचालक जैसे 50 नए पद स्वीकृत होंगे। नए रिजर्व को राष्ट्रीय बाघ परियोजना मद से हर साल 5 से लेकर 15 करोड़ रुपए मिलेंगे। योजना और स्वीकृत होने वाले पदों पर तैनात अधिकारी, कर्मचारियों से बाघ समेत दूसरे वन्यप्राणियों की सुरक्षा बढ़ेगी। केंद्र की राशि से भोपाल, सीहोर और रायसेन के रिजर्व क्षेत्र में कई काम होंगे।
91 गांवों को रिजर्व से बाहर होने की मिलेगी छूट
टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में 3 और बफर में 88 गांव होंगे। ये सभी गांव वाले अपनी स्वेच्छा से रिजर्व क्षेत्र से विस्थापित हो सकते हैं। इसके बदले गांव वालों को तय मापदंड के अनुसार लाखों रुपये दिए जाएंगे। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक किसी भी गांव को हटाने की जरूरत नहीं है, यह निर्णय संबंधित गांव वालों के कहने के बाद ही लिया जाएगा।
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9 नए गांव बफर क्षेत्र में शामिल
रातापानी टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1271.465 वर्ग किमी होगा। जिसमें 763.812 वर्ग किमी कोर व 507.653 वर्ग किमी बफर होगा। इस सीमा में पाए जाने वाले 75 से अधिक बाघ समेत हर तरह के हजारों वन्यप्राणियों की सुरक्षा बढ़ जाएगी। टाइगर रिजर्व सीमा के अंदर दांतखो, झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढ़ाबा, पांझिर, कैरी चौका, साजौली एवं जैतपुर नामक 9 गांव होंगे। इन पर कड़े प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर इन गांवों को प्रस्तावित रिजर्व के कोर क्षेत्र से हटाकर बफर में शामिल किया है, ताकि इनके जीवन पर रिजर्व के कड़े प्रतिबंधों का असर न पड़े।
भीमबेटका और गिन्नौरगढ़ किले का होगा जीर्णोद्धार
रातापानी टाइगर रिजर्व के अंदर भीमबेटका और गिन्नौरगढ़ के किले जैसे पर्यटन क्षेत्र आते हैं। अब इनका जीर्णोद्धार होगा। यहां पर्यटकों को आने-जाने के लिए जीप्सियां उपलब्ध कराईं जाएंगी। रातापानी बड़ा रिजर्व क्षेत्र है, जो एक ओर राजधानी भोपाल, दूसरी ओर नर्मदा, सीहोर और रायसेन की सीमाओं से लगा है। सभी दिशाओं से इसमें प्रवेश की व्यवस्था होगी। उसके पहले रिजर्व के अंदर स्थित पर्यटन क्षेत्रों का वन्यप्राणी टूरिज्म सर्किट बनाया जाएगा।
मोहन सरकार ने 9 महीने में पूरी कराई प्रक्रिया
टाइगर रिजर्व घोषित किए जाने की अधिसूचना के पहले तक रातापानी वन्यजीव अभयारण्य था। केंद्र के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने (एनटीसीए) 2008 में रिजर्व बनाने की सहमति दे दी थी लेकिन इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका। नई सरकार के गठन के बाद मार्च 2024 में मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की पहली बैठक हुई। तभी मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को साफ शब्दों में कहा था कि जितनी जल्दी हो प्रक्रिया पूरी कर रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित करें।
ये फायदें होंगे
- रातापानी रिजर्व से बाहर बसे गांवों पर कड़े प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। उनका जीवन पहले की तरह आसान रहेगा।
- अब रातापानी और आसपास के गांव शहर वन्यप्राणी पर्यटन की दृष्टि से वैश्विक पटल पर शामिल होंगे। स्वरोजगार के अवसर खुलेंगे।
- MP समेत आसपास के शहरों को वन्यप्राणी संरक्षण की दृष्टि से राष्ट्रीय व अंतर राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने में आसानी होगी।
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