मधुरिमा राजपाल, भोपाल
भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत रेलवे की तकनीकी क्षमताओं का विकास लगातार हो रहा है। इसी संदर्भ में RDSO (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) लखनऊ के महानिदेशक उदय बोरवणकर ने हरिभूमि से बातचीत में बताया कि आरडीएसओ आईआईटी और इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ मिलकर नए डिजाइन और आविष्कार कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘कवच’ टेक्नोलॉजी के माध्यम से असुरक्षित यात्रा को सुरक्षित बनाया जा रहा है और रेलवे दुर्घटनाओं में भी कमी आई है। उन्होंने बायो टॉयलेट के इंट्रोडक्शन पर भी प्रकाश डाला, जिसके कारण रेलवे पटरियों पर जंग लगना कम हुआ है, और अब सभी ट्रेनों में बायो टॉयलेट का उपयोग हो रहा है।
विश्व-स्तरीय ब्रेकिंग सिस्टम का विकास शामिल
उन्होंने कहा कि भारत सरकार की #आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत रेलवे की तकनीकी क्षमताओं का विकास लगातार हो रहा है। उदय कहते हैं कि आरडीएसओ की प्रमुख उपलब्धियों में तेजस और वंदे भारत जैसी हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए विश्व-स्तरीय ब्रेकिंग सिस्टम का विकास शामिल है। उन्होंने कहा कि इन ट्रेनों का ब्रेकिंग सिस्टम आधुनिकतम मानकों के अनुसार है, जो यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
दो स्टेशनों के बीच कम्युनिकेशन को बेहतर बनाने पर किया जा रहा काम
आरडीएसओ की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन के रूप में ‘कवच’ टेक्नोलॉजी शामिल है, जो रेलवे दुर्घटनाओं को रोकने में सहायक है। वहीं मधुप श्रीवास्तव, डायरेक्टर, आरडीएसओ लखनऊ ने बताया कि कवच 4.0 के माध्यम से दो स्टेशनों के बीच कम्युनिकेशन को और बेहतर बनाने पर काम किया जा रहा है, और वर्तमान में इसका परीक्षण रेलवे जोनल स्तर पर चल रहा है।
साइकोएनालिटिकल टेस्टिंग पर भी कर रहा काम
कार्यकारी निदेशक आरडीएसओ डॉ. वीणा ने बताया कि आरडीएसओ पायलट की इमोशनल स्टेबिलिटी और कार्यक्षमता की जांच के लिए साइकोएनालिटिकल टेस्टिंग पर भी काम कर रहा है।