Regional Industry Conclave 2024: मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। जिसे आकार देने के लिए उज्जैन में 1 और 2 मार्च को रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव 2024 आयोजित किया गया है। यह कॉन्क्लेव उज्जैन, इंदौर सहित मप्र के अन्य जिलों में औद्योगिक विकास के द्वार खोलेगा।
औद्योगिक समूहों के साथ सरकार के डेलीगेशन भी शामिल होंगे
उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह ने बताया, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के लिए 662 बायर और 2551 सेलर ने रजिस्ट्रेशन कराए हैं। इनमें प्रमुख तौर पर फूड और एग्रो प्रोडक्ट्स, सर्विस सेक्टर, इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, केमिकल एंड एलाइड प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल, प्लास्टिक , हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट, इलेक्ट्रिकल ,जेम एंड ज्वेलरी, रियल एस्टेट, लेदर, स्पोर्ट्स, फिश एंड मरीन प्रोडक्ट्स के सेक्टर शामिल हैं। आईटी सेक्टर्स के उद्योगपतियों के साथ फिजी, मंगोलिया व यूएसए गवर्मेंट डेलीगेशन और जापान, जर्मनी के बिजनेस डिलेग्शन शामिल होंगे।
महाकाल को विशेष भोग, प्रतिभागियों को विशेष किट
इंडस्ट्री कांक्लेव से पहले भगवान महाकाल को 6.25 क्विंटल लड्डू का भोग लगाया जाएगा। जिसे इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में शामिल उद्योगपतियों को प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाएगा। साथ ही उद्योगपतियों और प्रतिभागियों को विशेष किट दी जाएगी। जिसमें मप्र शासन की उद्योग फ्रेंडली नीतियों, भूमि बैंक, बुटीक प्रिंट और
मध्य प्रदेश का औद्योगिक परिदृश्य शामिल होगा।
इन बिंदुओं से समझें मप्र की खासियत
- मध्य प्रदेश, क्षेत्रफल के हिसाब से देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य और 8 फीसदी सीएजीआर पर वार्षिक जीएसडीपी वृद्धि के साथ तेजी से ग्रोथ करने वाला राज्य है। औद्योगिककरण भी तेजी से बढ़ा है।
- नई दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद और कोलकाता जैसे प्रमुख मेट्रो शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है। 160,000 किमी सड़कों नेटवर्क है। 455 ट्रेनें प्रतिदिन गुजरती हैं। टियर1 शहरों के साथ हवाई कनेक्टिविटी है। भूमि-बद्धता की समस्या दूर करने 6 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) स्थापित हैं।
- मप्र दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) में आता है। पीथमपुर-धार-महू, रतलाम-नागदा, शाजापुर-देवास, नीमच-नयागांव जैसे औद्योगिक और निवेश क्षेत्र हैं। दक्षिण पूर्व और सुदूर पूर्व एशियाई निवेशकों पर केंद्रित एक औद्योगिक टाउनशिप विकसित की है।
- मप्र मैंगनीज, तांबा, कांच, चूना पत्थर उत्पादन के साथ भारत में खनिजों का अग्रणी उत्पादक है। हीरे के भंडार वाला भारत का एकमात्र राज्य है। कोयला के कुल भंडार का 8% से अधिक और 1,434 बिलियन क्यूबिक मीटर कोल-बेड मीथेन मप्र में है।
- मप्र सोयाबीन, चना, लहसुन, गेहूं, मक्का और हरी मटर का सबसे बड़ा उत्पादक। केला, संतरा, अमरूद, आम और नींबू फल उगाने में भी यह अग्रणी राज्य है। देश की कुल जैविक खेती में मप्र का 40 फीसदी योगदान है। बागवानी उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
- राज्य कुल वन क्षेत्र 94,689.38 वर्ग किमी में अधिकतम वन क्षेत्र का योगदान देता है। मध्य प्रदेश के जंगलों में 2,200 किस्मों के औषधीय पौधे हैं। राज्य के पास देश का 14 प्रतिशत पशुधन है, जो कुल दूध उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान देता है।
- राज्य में 40,000 एकड़ विकसित क्षेत्र सहित 1,20,000 एकड़ औद्योगिक भूमि बैंक है। पिछले वर्षों में इसने एसईजेड और सेक्टर विशिष्ट पार्क जैसे एसईजेड पीथमपुर, क्रिस्टल आईटी पार्क, तमोट और ग्वालियर में प्लास्टिक पार्क, लॉजिस्टिक्स पार्क शिवपुरी, विक्रम उद्योगपुरी, उज्जैन, स्पाइस पार्क, छिंदवाड़ा विकसित किए हैं।
- राज्य में प्रचुर तकनीक व कुशल जनशक्ति उपलब्ध है। एम्स, आईआईटी, आईआईएम, एनआईएफटी, एनआईडी, एनएलआईयू, IIITM और सीआईपीईटी सहित प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों के साथ 45 विवि है। राज्य में हर साल एक लाख जनशक्ति (तकनीकी विशेषज्ञ) इन कॉलेजों से कार्यबल में शामिल हैं।
- मप्र संस्कृति और पर्यटन की दृष्टि से समृद्ध है। खजुराहो, भीमबैठिका और सांची जैसे पर्यटन स्थलों को विश्व धरोहर केंद्र के रूप में मान्यता मिली है। कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना और शिवपुरी प्रसिद्ध बाघ अभयारण्य हैं और कई अन्य जानवर हैं।
- पचमढ़ी, अमरकंटक और तामिया राज्य के कुछ अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। पर्यटन विभाग ने राज्य के विभिन्न द्वीपों जैसे हनुवंतिया, मध्य द्वीप और सैलानी द्वीपों का उपयोग कर पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल की है। यहां हर साल भारत का सबसे बड़ा जल कार्निवल, जल महोत्सव होता है।
- राज्य कपड़ा निर्माण, ऑटोमोबाइल, खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग और कृषि उपकरण निर्माण में अग्रणी है।
- राज्य की शांतिपूर्ण जनशक्ति औद्योगिक विकास के लिए एक अतिरिक्त लाभ है। उपरोक्त सभी कारक मध्य प्रदेश को एक विकसित राज्य बनने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।