200 crore scam in RGPVV Bhopal: मध्य प्रदेश के राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPVV) में हुए अनियमितता के मामले में कुलपति और रजिस्टार सहित 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के 200 करोड़ रुपए निजी बैंक खातों में ट्रांसफार्मर कर दिए गए। मामले की जांच में कुलपति सहित सभी सभी की भूमिका संदिग्ध मिलने पर यह कार्रवाई की गई है। वित्तीय अनियमितता का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद विद्यार्थियों ने भी मोर्चा खाेल दिया। 

विद्यार्थी परिषद से जुड़े कुछ स्टूडेंट्स ने विवि में विरोध प्रदर्शन करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है। साथ ही कहा, छात्र वेलफेयर के रुपए भी निजी खातों में ट्रांसफर किए गए हैं। यह तकनीकी चूक नहीं, बल्कि रणनीति के तहत फर्जीवाड़े का प्रयास है।

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने यूनिवर्सिटी में में धरना दे रहे छात्रों से चर्चा के दौरान कहा था कि प्राइवेट खातों में ट्रांसफर की गई राशि के चेक पर कुलपति सुनील कुमार और रजिस्ट्रार डॉ. आरएस राजपूत के साइन मिले हैं। एफआइआर करा रहे हैं। रजिस्ट्रार ही नहीं बल्कि अन्य लोगों को मुलजिम बनाया जाएगा। विवि में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। हर चीज की मुद्देवार जांच कराई जाएगी।  

मंत्री ने बताया कि प्रथम दृष्टया 20 करोड़ रुपए की हेराफेर का मामला सिद्ध हो चुका है। इसमें कुलपति सुनील कुमार, पूर्व रजिस्ट्रार आरएस राजपूत, मयंक कुमार, ऋषिकेश वर्मा व दलित संघ सोहागपुर सहित 5 के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है। 

 RGPV विवि में विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों का आरोप  

  • धरना प्रदर्शन में शामिल शालिनी वर्मा ने बताया कि प्रोद्योगिकी विवि में 200 करोड़ का बड़ा अमाउंट प्राइवेट अकॉउंट में जमा करना चूक नहीं है। यह पूरी प्रक्रिया है। इसमें कई एक्सपर्ट और बड़े पदों पर बैठे अधिकारी शामिल होते हैं। ऐसी गलती संभव नहीं है। 
  • संदीप वैष्णव ने कहा, मामूली राशि जमा करते समय अकॉउंट नंबर व  खाता होल्डर का नाम गलत लिख जाए तो तुरंत पता चल जाता है, लेकिन अधिकारी विवि का खाता नंबर भी भूल जाएं यह समझ से बारह है। 
  • जसवंत सिंह ने कहा, जांच रिपोर्ट में क्या सामने आया है, मामले में कौन कौन जिम्मेदार है और इतनी बड़ी चूक कैसे हुई, यह सब सामने आना चाहिए। पांच साल में विवि डेवलपमेंट और स्टूडेंट फेसिलिटी पर कितना खर्च हुआ, इस बात की भी जांच होनी चाहिए। तकनीकी शिक्षा विभाग के कमिश्नर ने आश्वासन दिया था, लेकिन जांच अधिकारी अनदेखा कर रहे हैं।