Sant Siyaram Baba: निमाड़-मालवा के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का बुधवार (11 दिसंबर 2024) सुबह 6 बजे निधन हो गया। उनकी उम्र 100 से अधिक बताई जा रही है। वह मां नर्मदा, भगवान राम और हनुमान जी के अनन्य भक्त थे। संत सियाराम का जीवन त्याग तपस्या से परिपूर्ण है।
संत सियाराम बाबा 110 की उम्र में भी रामचरित्र मानस का पाठ रोजाना करते थे। अनुयायी बताते हैं उनकी दिनचर्या भगवान राम और मां नर्मदा की उपासना से शुरू होती थी और इसी के साथ समाप्त भी होती थी। आश्रम में 24 घंटे रामधुन होती थी। श्रद्धालुओं को वह खुद चाय बनाकर प्रसाद स्वरूप पिलाते थे।
संत सियाराम बाबा की दिनचर्या
- संत सियाराम बाबा का असली नाम किसी को नहीं पता। उन्होंने 10 साल तक खड़े रहकर मौन तपस्या की है। इसी तप और त्याग की बदौलत क्षेत्रवासियों के दिलों में जगह बनाई थी।
- संत सियाराम बाबा के लिए पांच छह श्रद्धालु अपने घर से टिफिन भिजवाते थे। जिससे थोड़ा थोड़ा हिस्सा निकालकर वह प्रसाद स्वरूप लेते थे। शेष भोजन पशु-पक्षियों को खिला देते थे।
- संत सियाराम बाबा 7 दशक से लगातार रोजाना मानस पाठ कर रहे थे। आश्रम में 24 घंटे श्रीराम धुन चलती है। शिष्यों से 10 रुपए से ज्यादा भेंट नहीं लेते थे।
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नर्मदा तट पर घाट निर्माण, मंदिरों को दिए लाखों रुपए
- संत सियाराम बाबा ने डूब प्रभावित क्षेत्र के बदले मिले मुआवजे के दो करोड़ 58 लाख रुपए क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान नागलवाड़ी मंदिर के लिए दान कर दिए।
- संत सियाराम बाबा ने जामघाट स्थित पार्वती मंदिर में 20 लाख रुपए नकद और चांदी का छत्र भी दान किया है। आश्रम से नर्मदा तक करीब एक करोड़ की लागत से घाट का निर्माण कराया है।
- नागलवाड़ी धाम, खारघर और जामगेट स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में 25 लाख से ज्यादा की राशि दान की है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में भी उन्होंने 2 लाख रुपए भेंट किए थे। क्षेत्र में यात्री प्रतीक्षालय भी बनवाया है।
अरुण यादव ने दी श्रद्धांजलि
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने संत सियाराम बाबा के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की। बताया कि उनके जीवन का हर पल भक्ति के लिए समर्पित रहा। निमाड़वासियों की स्मृतियों में वह हमेशा सूक्ष्म रूप में विद्यमान रहेंगे और अपने आशीर्वाद से मार्गदर्शन करते रहेंगे