598 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के जरिए 100 मीटर लंबा अप्रोच चैनल, 28.650 किमी लंबी और 4.5 मीटर डी आकार की भूमिगत बॉक्स एवं 100 मीटर में ओपन चैनल का निर्माण किया जाना है। महाकाल की नगरी उज्जैन में शिप्रा शुद्धिकरण के नाम उमा भारती और शिवराज सरकार ने भी करोड़ों रुपए खर्च किए हैं, लेकिन हालात नहीं बदले। अब भी उसमें सीवर का गंदा पानी मिलता है।
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कान्ह नदी से होता है शिप्रा में प्रदूषण
उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह की मानें तो इंदौर व सांवेर से सीवेजयुक्त जल कान्ह नदी के जरिए शिप्रा नदी में मिलता हे। इसे रोकने के लिए जमालपुर में बैराज का निर्माण कराया जाएगा। क्लोज डॉट के माध्यम से जल को गंभीर बांध की डाउन स्ट्रीम में डायवर्ट किया जाएगा।
42 माह में पूरा होगा निर्माण
कलेक्टर नीरज सिंह ने कहा, सिंहस्थ 2028 के पहले तकरीबन 42 माह में इस निर्माण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य है। परियोजना का संचालन और रख-रखाव 15 साल तक ठेका कंपनी करेगी।