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jan samasya nivaaran shivir: केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र शिवपुरी और पिछोर में 9 फरवरी को जन समस्या निवारण शिविर लगा, लेकिन उनके जाते ही आवेदन कचरे में फेंक दिए गए। कलेक्टर ने 5 कर्मचारी निलंबित किए हैं।

jan samasya nivaaran shivir: मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में आयोजित जन समस्या निवारण शिविर में शिकायतकर्ताओं से अभद्रता भारी पड़ गई। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के हस्ताक्षेप पर 3 पटवारी और 2 लिपिक सस्पेंड कर दिए गए। घटनाक्रम का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें कुछ लोग उनके आवेदनों को कचरे में फेंकने का आरोप लगा रहे हैं। मामला शिवपुरी जिले के पिछोर विधानसभा क्षेत्र का है। 

दरअसल, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने संसदीय क्षेत्र के शिवपुरी और पिछोर विधानसभा क्षेत्र में जन समस्या निवारण शिविर आयोजित कराया था। केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने इसमें आमजन की समस्याएं सुनीं। पिछोर शिविर में सिंधिया के जाने के बाद कुछ कर्मचारियों ने आवेदन कचरे में फेंक दिए। मामले की जानकारी जब केंद्रीय मंत्री सिंधिया को हुई तो उन्होंने जांच और दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। 

इन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई
केंद्रीय मंत्री सिंधिया की नाराजगी से अफसरों में हड़कंप मच गया। कलेक्टर ने रवींद्र कुमार चौधरी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 5 कर्मचारियों के खिलाफ निंबल के आदेश दिए हैं। जिन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है, उनमें पटवारी दीपक दांगी, पटवारी दीपक शर्मा, प्रतीक पाराशर, लिपिक प्रमोद वर्मा और लिपिक प्रशांत शर्मा शामिल हैं। इनके अलावा पंजीयन काउंटर पर तैनात 4 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा गया है।

कर्मचारी बता रहे शरारती तत्वों की साजिश
समस्या निवारण शिविर में आमजन से अभद्रता प्रशासन के दोहरे चरित्र को दर्शाता है। हालांकि, कुछ लोग इसे शरारती तत्वों की साजिश बता रहे हैं। कहा, कुछ लोगों ने कर्मचारियों द्वारा आवेदन फेंकने की अफवाह जानबूझकर फैलाई है। पंजीयन काउंटर में तैनात कर्मचारियों ने उनके आवेदनों की फोटोकॉपी कर एक प्रति अपने रिकॉर्ड में रखी थी।

कांग्रेस बताया दिखावे का शिविर 
कांग्रेस ने X पर घटनाक्रम का वीडियो शेयर शिविर को दिखावा बताया है। लिखा-राजा महाराजा को जनता की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है। वह तो सुनवाई के नाम पर दिखावा करना चाहते थे। उनके झांकी-मंडप के बाद आवेदक भटके रहे हैं। कर्मचारी आवेदन फेंक दें या फिर अधिकारी बहाना बनाएं, उन्हें क्या पड़ी है।  

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