Shri Jagannath Rath Yatra: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का मध्यक्षेत्र शनिवार का दिन हरे राम.. हरे राम, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण... के उद्घोष से गूंज उठेगा। पटेल नगर स्थित इस्कॉन मंदिर द्वारा शनिवार 13 जुलाई को बारहवीं जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन किया जा रहा है।
यह रथ यात्रा भोपाल टॉकीज से शाम 4 बजे प्रारंभ होगी और हमीदिया रोड, भारत टाकीज, रोशनपुरा चौराहा होते हुए माता मंदिर के पास प्लेटिनम प्लाजा पर इसका समापन होगा। इस्कॉन मंदिर के स्वामी सव्यसाची दास ने पत्रकार वार्ता में बताया कि रथयात्रा में लगभग 20 हजार भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है।
विदेशी भक्तों की श्रद्धा
स्वामी सव्यसाची दास ने बताया इस यात्रा में रसिया, आयरलैंड और नीदरलैंड के भक्त भी शामिल होंगे। रथ को भक्त अपने हाथों से खींचते चलेंगे और इस दौरान हरे कृष्ण महामंत्र का संकीर्तन तथा प्रसाद वितरण होता रहेगा। रथ यात्रा का उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा कि शाख में वर्णन है कि रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ के दर्शन से जीव जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। उन्होंने बताया कि रथ का निर्माण पुरी के जगन्नाथ भगवान के नंदीघोष रथ के आधार पर की गई है। रथ में श्री जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा महारानी विराजमान रहेंगी।
क्या है इस्कॉन ?
अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ यानी (इस्कॉन) की स्थापना का श्रेय संस्थापक आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद जी को जाता है। जिन्होंने पहली बार भारत से बाहर अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में सन 1967 में स्थयात्रा उत्सव का आयोजन किया था। वर्तमान में इस्कॉन द्वारा विश्व भर में एक हजार से भी अधिक शहरों में हर वर्ष रथयात्राएं निकाली जाती है।
गुरु पूर्णिमा पर पादुका पूजन व सामूहिक दीक्षा कार्यक्रम
अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग में 21 जुलाई रविवार को जो गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए गुरु पूजन के कार्यक्रम होंगे। मां चामुंडा दरबार भोपाल के पुजारी रामजीवन दुबे ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान व श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा विष्णु सहस्त्रनाम, पुरुष सूक्त का पाठ, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
भविष्य पुराण के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा को विधिवत शिव की पूजा-अर्चना करने से सहस्त्र अश्वमेध यक्ष के समान पुण्य और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। ऋषि पाराशर व देवी सत्यवती के यहां पुत्र के रूप में वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था। भगवान गणेश के कहने पर उन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की। इस दिन को वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर जहां साईं बाबा की पालकी निकलेगी वहीं जगह जगह चरण पादुका पूजन के साथ ही सामाजिक दीक्षा के कार्यक्रम भी होंगे।
गुरु पूर्णिमा पर पूजा विधि
पुजारी रामजीवन दुबे का कहना है कि सुबह सूर्योदय से पहले उठे और स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को साफ करें। भगवान वेद व्यास और अपने गुरु की प्रतिमा स्थापित करें। दीप प्रज्वलित करें और धूपबत्ती लगाएं। फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। गुरु मंत्रों का जाप करें। गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें। गुरु पूर्णिमा के दिन दान करना भी अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। ब्राह्मणों या किसी भी जरूरतमंद को दान दिया जा सकता है।