Simhastha Kumbh-2028: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ-2028 की तैयारी शुरु हो गई है। कुंभ से पहले यहां क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। साथ ही इंदौर प्रशासन ने कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित लगभग 1,500 कच्चे मकान तोड़ने का फैसला लिया है।
कलेक्टर आशीष सिंह ने गुरुवार, 29 अगस्त को मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में करीब 3,000 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए हैं। इनमें 1500 कच्चे मकान शामिल हैं, जिन्हें नोटिस देकर खुद से अतिक्रमण हटाने के लिए कहा गया है।
जल्द शुरू होगा शिफ्टिंग का काम
कलेक्टर आशीष सिंह ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि कान्ह और सरस्वती के 30-30 मीटर के दायरे में स्थित अवैध निर्माण हटाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। बारिश के चलते इन लोगों को स्थानांतरित करने में देरी हुई है। अगले पांच-दस दिन में इनकी शिफ्टिंग का काम शुरू किया जाएगा।
3,000 अतिक्रमण चिह्नित
विभागीय अधिकारियों की मानें तो इंदौर प्रशासन ने दोनों नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में 3,000 अतिक्रमण चिह्नित किए हैं। इनमें 1500 कच्चे मकान हैं। जबकि, इतने ही आवासीय और वाणिज्यिक उपयोग के पक्के मकान भी शामिल हैं।
क्षिप्रा में मिल रही इंदौर की गंदगी
दरअसल, क्षिप्रा नदी इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र से होते हुए उज्जैन पहुंचती है, जिसमें सिंहस्थ मेले के दौरान रोजाना लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं। क्षिप्रा नदी को मोक्षदायिनी भी कहते हैं, लेकिन देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की गंदगी कान्ह और सरस्वती नदी के जरिए क्षिप्रा में जाकर मिलती है। जिस कारण क्षिप्रा नदी का पानी उज्जैन में आचमन के लायक भी नहीं बचा।
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600 करोड़ की परियोजना
प्रशासन ने सिंहस्थ से पहले क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त करने 600 करोड़ की लागत वाली परियोजना का खाका तैयार किया है। इसमें 11 नए सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) लगाए जाने हैं। साथ ही 450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन बिछाकर शहर की गंदगी नदी से मिलने से रोकी जाएगी।