MP Court News: नर्मदापुरम के सोहागपुर कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 125 वर्ष के इतिहास में पहली बार मौत की सजा सुनाई है। कोर्ट ने बुधवार को 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपी मामा को दोषी ठहराया। डीएनए रिपोर्ट और बच्ची के नाबालिग भाई के बयान के आधार पर कोर्ट ने ढाई साल पुराने मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई है।
जानें कोर्ट ने क्या कहा
सोहागपुर के विशेष न्यायालय चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट ने कहा कि निर्दोष मासूम, अबोध बालिका का बलात्कार विरलतम की घटना है। बलात्कार सहित हत्या का मामला किसी भी दृष्टि से सामान्य नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने रामचरित मानस की चौपाई सुनाते हुए कहा-
- अनुज बधू भगिनी सुत नारी, सुनू सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई, ताहि बधें कछु पाप न होई।
हिंदी अर्थ: (छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और कन्या- ये चारों समान हैं।
इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं होता।)
जानें पूरा मामला
बता दें कि सोहागपुर के एक गांव से 25 दिसंबर 2021 को एक बच्ची घर से लापता हो गई थी। परिजन ने खूब तलाश की लेकिन बच्ची नहीं मिली। परिजन ने शोभापुर पुलिस चौकी में मासूम की गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस को घर की छत पर बच्ची का कपड़े से ढंका शव मिला। शव पर बच्ची का गला दबाने और नाखूनों के निशान मिले थे।
लोगों ने किया था थाने का घेराव
पुलिस ने शक के आधार पर पड़ोसियों और करीबियों से पूछताछ की तो बड़ा सुराग हाथ लगा। पुलिस ने बच्ची के मामा आरोपी किशन को गिरफ्तार कर लिया। इधर घटना से नाराज लोगों ने 26 दिसंबर को पुलिस चौकी का घेराव कर दिया था। आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग की थी।