Country's Economy From River: (इक्षांत उर्मलिया) वैसे तो मध्य प्रदेश के कई स्थलों से प्रमुख नदियों का उद्गम हुआ है, जिनमें एक 'सोन' नदी का भी नाम शामिल है। इस नदी का उद्गम स्थल प्रदेश के अनूपपुर जिला अंतर्गत अमरकंटक तहसील से हुआ, जो देश के मध्य भाग से बहने वाली नदी है। इस नदी के उद्गम स्थल को सोनभद्र शिला के नाम से जाना जाता है। यह नदी यमुना के बाद गंगा नदी की दक्षिणी उपनदियों में सबसे बड़ी मानी जाती है। जो विंध्याचल पहाड़ियों में नर्मदा नदी के स्रोत स्थल से पूर्व दिशा में है। यह अमरकंटक से निकलकर छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य की प्यास बुझाते हुए बिहार के पटना पहुंचकर गंगा नदी में विलय हो जाती है।

नदी का नाम 'सोन' क्यों
रामायण और पुराणों के अनुसार इस नदी का उल्लेख गंगा नदी की सहायक नदी में प्रमुख है। पुराणों में इसका प्राचीन नाम 'सोहन' था जो गलती से सोन बन गया। वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस नदी के बालू पीले रंग में रंगे हैं, जो सोने की तरह चमकदार हैं। इसलिए इस नदी का नाम 'सोन' नदी पड़ा।

कहां से हुआ उद्गम
अमरकंटक के सोनमुड़ा नामक स्थान के कुण्ड से सोन नदी का उद्गम हुआ। नदी की उत्पत्ति में यह मान्यता है कि ब्रह्मा के पुत्र मानस ब्रह्मा के तप के फलस्वरूप उनके बाएं आंख से सोन व दाएं आंख से भद्र अश्रु धारा के रूप में निकले थे। जिन्हें सोनभद्र कहा जाता है। इस स्थान पर सोनभद्र महाराज और शक्तिपीठ माता मंदिर में विराजमान हैं। यह नदी उद्गम स्थल से 25 किमी चलकर विलुप्त हो जाती है और छत्तीसगढ़ के पेण्डा में निकलते हुए, शहडोल, बाणसागर डैम, सीधी, सिंगरौली, सोनभद्र और झारखंड के क्षेत्र में प्रवेश करते हुए बिहार के महत्वपूर्ण शहर डेहरी आन सोन में प्रवेश करती है, जो इंडस्ट्री के लिए बहुत मशहूर था। इसके बाद यह नदी पटनावासियों की प्यास बुझाते हुए गंगा नदी में विलय हो जाती है। इस नदी की लंबाई 784 किमी के करीब है।

सहायक नदी
इस नदी में अमरकंटक पहाड़ी से जोहिला और सोनहत नदी, रिहंद, कुनहड़ उत्तरी कोयल नदी, कनहर, घग्घर, छोटी महानदी और बनास नदी शामिल है।

नदी की खासियत
अमरकंटक की पहाड़ी से निकलता यह मीठा जल, निर्मल और स्वास्थ्यवर्धक होता है, इसके तटों पर अनेक प्राकृतिक और बड़े मनोरम दृश्य को देखते हुए अनेकों कवियों ने फारसी, उर्दू और हिंदी में नदी के मीठे जल का वर्णन किया है। यह नदी उद्गम स्थल से गंगा तक लोगों के जीवन को हरियाली ले सवारे हुई है। इस नदी में बाण सागर,रिहंद बांध, सोन घड़ियाल केंद्र, गोविंद सागर, डिहरी-आन-सोन पर बाँध बाँधकर 476 किमी लंबी नहर निकाली गई, जिसके जल से शाहाबाद, गया और पटना जिले की करीब सात लाख एकड़ भूमि सिंचित बनी। बिहार का यह बांध 1847 ई. में बनाया गया था। इस नदी पर करीब 3 किमी लंबा पुल डेहरी के सोन नगर में है, जिसका नाम जवाहर सेतु है। इस पुल का निर्माण 1965 में किया गया था। दूसरी पुल पटना-आरा के कोईलवर स्थान पर 1862 में रेल-सड़क है। तीसरा पुल ग्रैंड ट्रंक रोड पर 1965 ई. में बनाया गया।

नदी से देश की अर्थव्यवस्था
सोन नदी के नाम पर उत्तर प्रदेश के एक जिले का नाम सोनभद्र रखा गया है। यहां गोविंद बल्लभ पंत सागर पिपरी बांध है जो 30 किमी लम्बा व 15 किमी चौड़ा जलाशय है। जिससे सोनभद्र के दक्षिणी क्षेत्र को “देश की ऊर्जा राजधानी” कहा जाता है। इस बांध के आसपास कई विद्युत पावर स्टेशन हैं। नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन में तीन कोयले आधारित थर्मल पावर प्लांट हैं।

  • विंध्याचल थर्मल पावर प्लांट, बैढ़न 4760 मेगावाट
  • रिहाण्ड थर्मल पावर प्लांट, रेणुकुट 3000 मेगावाट
  • सिगरौली सुपर थर्मल पावर प्लांट, शक्तिनगर 2000 मेगावाट