Reservation applicable in pre-exam: सरकारी नौकरियों में आरक्षण कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बड़ी टिप्पणी की गई है। इसके अनुसार, अब मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC), सिविल जज अन्य किसी भी भर्ती के प्री लिम्स में ही आरक्षण कोटा लागू होगा। यानी प्री एक्जाम हो या फिर मेंस रिजल्ट मेरिटोरियस छात्रों के अनुसार ही तैयार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, एससी, एसटी और ओबीसी कटेगरी का छात्र यदि अधिक अंक प्राप्त करता है तो वह उसे अनारक्षित श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग 2019 को लेकर दायर एक याचिका में सुनवाई करते हुए स्पष्ट अनारक्षित कटेगरी का मतलब स्टष्ट किया है। कहा, इसका मतलब ही यही है कि मैरिट के आधार पर उम्मीदवार शामिल किए जाएं। हालांकि, मामले में अभी औपचारिक आदेश आना बाकी है।
क्या है आरक्षण विवाद
हाईकोर्ट के जस्टिस सुजॉय पाल की बेंच ने 7 अप्रैल 2022 को आदेश जारी कर कहा था कि अनारक्षित वर्ग के पद मेरीटोरियस छात्रों से ही भरे जाएं। यानि अधिक अंक लाने वाले एसटी, एसी, ओबीसी वर्ग के उम्मदीवार अनारक्षित श्रेणी में आएंगे। आरक्षित कैटेगरी सामान्य वर्ग के लिए नहीं है। वहीं जस्टिस शील नागू की कोर्ट ने न्याय याचिका सुनवाई में कहा था कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग में शामिल नहीं किया जा सकता। आरक्षण का लाभ सिर्फ फाइनल सिलेक्शन लिस्ट में ही मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सुजाय पॉल के फैसले को सही ठहराते हुए पीएससी के रिजल्ट को मान्यता दी है।
नार्मलाइजेशन फार्मूले पर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट दिखा
सुप्रीम कोर्ट ने MP पीएससी 2019 के मुद्दे पर 7 अप्रैल 2022 को जारी आदेश को भी मान्य किया है। इस आदेश में कहा गया था कि 2015 के नियम को खारिज कर दोबारा रिजल्ट बनाया जाए। पीएससी ने इस पर नए सिरे से रिजल्ट जारी कर 2721 नए उम्मीदवार पास किए थे। इस दौरान अनारक्षित कटेगरी से कई बाहर हुए 1918 उम्मीदवार हाईकोर्ट चले गए। जहां से निर्णय आया कि नए पास उम्मीदवारों की स्पेशल मेंस होगी सभी की नहीं। इसके बाद नार्मलाइजेशन कर रिजल्ट जारी किया जाएगा। पीएससी ने वही किया। बाहर हुए उम्मीदरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट नार्मलाइजेशन फार्मूले से संतुष्ट दिखा।