Guru Purnima: गुरु पूर्णिमा महोत्सव रविवार को देशभर में आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। खंडवा में दादा धूनीवाले दरबार में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा है। भोपाल के मानस भवन में दोपहर 3 बजे से सुंदरकांड, चरण पादुका और भजन संध्या होगी। प्रभु प्रेमी संघ चेरिटेबिल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के अनुयायी शामिल शामिल होंगे।
व्यास उपासना का पर्व है गुरु पूर्णिमा
स्वामी अवधेशानंद महाराज ने गुरु पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहा, यह एक दिव्य आध्यात्मिक पर्व है। किसी समुदाय विशेष नहीं बल्कि व्यास की उपासना का पर्व है। जिनसे सीखा समझा और जाना है, उनकी उपासना का पर्व है। गुरु व्यक्ति नहीं परंपरा का नाम है। वस्तुत: गुरु और शिष्य एक ही होता है, जो गुरु है वहीं शिष्य है।
उपासना का पंचदेव सिद्धांत
स्वामी अवधेशानंद ने उपासना का सिद्धांत बताया। कहा, यदि आपकी निष्ठा नहीं है तो अंत: करण का समाधान नहीं होगा। उपासना में भक्ति, पूजन, दिया-बाती इत्यादि पर्याप्त नहीं है। अंत:करण में निष्ठा जरूरी है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने उपासना का पंचदेव सिद्धांत दिया। कहा, पहले गणेश, सूर्य, विष्णु उपासना, शिवअभिषेक और फिर जगदम्बा की उपासना करनी चाहिए। यह दशनाम सन्यासियों का क्रम है, जिसे समयाचार करते हैं।
महाआरती में शामिल हुए 50 हजार श्रद्धालु
खंडवा में दादा धूनीवाले दरबार में शनिवार से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। पहले दिन डेढ़ लाख लोगों ने गुरु-शिष्य की समाधि पर मत्था टेक कर धूनीमाई में आहूति दी। रात 8 बजे हुई महाआरती में 50 हजार श्रद्धालु शामिल हुए। भीड़भाड़ और 108 दीपों की ज्वाला से मंदिर का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।